लखनऊ। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भाजपा के हाथों लगातार दूसरी करारी हार मिलने के बाद जहाँ अखिलेश का किला ढहता जा रहा था वहीं इस नेता ने दोबारा भाजपा का दामन थाम कर यह सुनिश्चित कर दिया है कि, समाजवादी पार्टी एक डूबता हुआ जहाज़ है और इसमें सफर करने वालों का भी […]
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भाजपा के हाथों लगातार दूसरी करारी हार मिलने के बाद जहाँ अखिलेश का किला ढहता जा रहा था वहीं इस नेता ने दोबारा भाजपा का दामन थाम कर यह सुनिश्चित कर दिया है कि, समाजवादी पार्टी एक डूबता हुआ जहाज़ है और इसमें सफर करने वालों का भी भविष्य सुरक्षित नहीं है।
बसपा से भाजपा मे कदम रखने वाले कद्दावर नेता धर्म सिंह सैनी ने 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के चलते भाजपा का दामन छोड़ दिया था, वह गठबन्धन के पक्ष में खड़े होकर चुनाव लड़ रहे थे, उस दौरान स्वामी प्रसाद मौर्य एवं ओम प्रकाश राजभर ने भी भाजपा का साथ छोड़ दिया था, लेकिन चुनाव हारते ही गठबन्धन के सभी नेताओं के बीच खटास पैदा हो गई। जिसके चलते धर्म सिंह सैनी ने घर वापसी का फैसला करते हुए फिर से भाजपा मे जाने का इरादा कर लिया है।
समाजवादी पार्टी को आज़मगढ़ एवं रामपुर जैसे गढ़ में मिली हार के बाद शायद सभी की उम्मीदें खत्म हो गई हैं और बची खुची जो उम्मीद मुलायम सिंह होने से थी तो उनकी मृत्यु ने भी सूपड़ा साफ कर दिया है। शायद समाजवादी पार्टी से जुड़े नेताओं को अखिलेश के नेतृत्व पर भरोसा नहीं हैं उन्हे नहीं लगता कि अखिलेश का नेतृत्व समाजवादी पार्टी के पुनर्जागरण के लिए काफी होगा।
आगामी मैनपुरी उपचुनाव के परिणाम आने के बाद शायद तय हो जाएगा कि, समाजवादी पार्टी का भविष्य यूपी की राजनीति में कितना बचा है, यदि मैनपुरी उपचुनाव में भी अखिलेश को हार का सामना करना पड़ता है तो उन्हे पार्टी के उद्धार के लिए कोई नया ब्लूप्रिंट तैयार करना होगा वरना सपा मुक्त यूपी बनने का दौर अब दूर नहीं है।