केरल के सबरीमाला मंदिर में सुप्रीम कोर्ट ने भले ही महिलाओं की एंट्री दोबारा शुरु करा दी हो लेकिन मंदिर के देवासम बोर्ड ने महिलाओं के लिए अलग लाइन लगाने से साफ इंकार कर दिया है. बोर्ड का कहना है कि ये अव्यवहारिक है, अगर आप मंदिर में दर्शन के लिए पुरुषों की तरह 7 से 8 घंटों का इंतजार कर सकें तो ही आएं.
नई दिल्ली. एक तरफ जहां सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के आने पर से पाबंदी हटा दी है वहीं राज्य सरकार ने मानो इस फैसले को अब भी पूरी तरह स्वीकार नहीं किया है. दरअसल राज्य के पिनराई विजयन के प्रशासन ने मंदिर में महिलाओं की अलग लाइन को अव्यवहारिक बताया है. उनका कहना है कि सुरक्षा करणों से हम ऐसा नहीं होने दे रहे. मंदिर के देवासम बोर्ड के मंत्री काडाकंपाली सुरेंद्रन ने कहा कि मंदिर में भक्तों के दर्शन के लिए आठ से 10 घंटों तक इंतजार करना होता है महिलाओं को भी इसके लिए तैयार रहना होगा. हम कुछ नहीं कर सकते. जो भी यहां दर्शन के लिए घंटों इंतजार करने को तैयार हो वह ही आए.
उन्होंने कहा कि अलग लाइन बनाने से महिलाएं अपने परिवारों से मंदिर में अलग हो जाएंगी जो कि ठीक नहीं रहेगा. फिर भी, केरल सरकार मंदिर पर महिलाओं के लिए सुविधाओं को स्थापित करने की सोच रही है. जिसमें अलग शौचालय और स्नान घाट शामिल हैं. ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि महिला भक्त असुविधाजनक नहीं रहें. मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की अध्यक्षता में एक उच्च शक्ति समिति की बैठक ने महिला के लिए विभिन्न व्यवस्थाओं पर चर्चा की.
भक्तों की गिनती में बढ़ोतरी को देखते हुए सरकार दर्शन के समय को बढ़ाने और पूजा के दिनों को बढ़ाने पर विचार कर रही है. प्रभावी भीड़ नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिए इस वर्ष डिजिटल बुकिंग सुविधाओं की भी शुरुआत की जा सकती है.
क्या है सबरीमाला मंदिर विवाद, क्यों नहीं दी जाती यहां महिलाओं को प्रवेश की अनुमित, जानिए पूरा मामला