नई दिल्ली: दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेन्द्र यादव ने कहा कि अपने नजरिए से सरकार चलाने में फेल अरविन्द केजरीवाल ने पिछले 10 वर्षों में दिल्ली के लाखों बच्चों के भविष्य को बर्बाद कर दिया है। 9वीं कक्षा में हजारों बच्चों के फेल होने की शुरुआत 2015 में शुरुआत हुई थी और लगातार […]
नई दिल्ली: दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेन्द्र यादव ने कहा कि अपने नजरिए से सरकार चलाने में फेल अरविन्द केजरीवाल ने पिछले 10 वर्षों में दिल्ली के लाखों बच्चों के भविष्य को बर्बाद कर दिया है। 9वीं कक्षा में हजारों बच्चों के फेल होने की शुरुआत 2015 में शुरुआत हुई थी और लगातार हर वर्ष 9वीं कक्षा में फेल छात्रों को स्कूल से निकाला जा रहा है, इस कड़ी में इस सत्र में भी दो बार 9वीं में फेल 17308 छात्रों को स्कूल से निकाल कर अपना छवि सुधारने की कोशिश में छात्रों पर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूल में दाखिला लेने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 9वीं और 11वीं में अभी तक 10 लाख से भी अधिक छात्र फेल होना केजरीवाल के विज्ञापन पर आधारित शिक्षा मॉडल को उजागर करता हैं।
देवेन्द्र यादव ने आगे कहा कि शिक्षा मंत्री द्वारा दिल्ली सरकार के 200 से अधिक प्रिंसीपलों से चर्चा करके स्कूलों में बड़े बदलाव का बयान गुमराह करने वाला है। आतिशी प्रिंसीपलों से चर्चा की जगह 11 हजार से अधिक स्कूलों में टीचरों, वाईस प्रिंसीपलों और प्रिंसीपलों की 100 प्रतिशत भर्ती करने पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि फरवरी 2023 में डीएसएसएसबी दिल्ली सरकार द्वारा जारी जानकारी अनुसार के सरकारी स्कूलों में लगभग 17,891 नियमित टीचर के पद खाली है, जबकि प्रिंसीपल के 950 स्वीकृत पदों में से 848 पद खाली है और वाईस प्रिंसीपलों के 1670 स्वीकृत पदों में मात्र 627 पद ही भरे गएं है। केजरीवाल की पक्षपात नीति और निष्क्रियता के कारण दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था अनुबंधित टीचरों के कंधो पर सवार है, जो छात्रों को शिक्षा देने की जगह अपने नियमन की लड़ाई लम्बे समय से लड़ रहे है।
कांग्रेस सरकार ने दिल्ली सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस के वक़्त सरकारी स्कूलों में शिक्षा का जो स्तर था उसमें गिरावट आई है और केजरीवाल अपने शिक्षा मॉडल का दिखावा दुनिया भर में कर रहे है। देवेन्द्र यादव ने आगे कहा कि भारत के इतिहास में केजरीवाल सरकार पहली सरकार है जो अपनी नाकामी को छिपाने और बेहतर रिजल्ट दिखाने के लिए हर वर्ष 9वीं और 11वीं में फेल 35-40 प्रतिशत छात्रों को स्कूल से निकाल कर एनआईओएस ओपन स्कूल में भेजने के लिए मजबूर कर रही है. इस वर्ष भी स्कूल से निकाले 17208 छात्रों में से 6200 छात्र ओपन स्कूल में एडमिशन ले चुके है. इनमें से ज्यादातर बच्चे गरीब परिवार से संबंध रखते है.