नई दिल्ली. देवआनंद अपने दौर के इतने बड़े सुपरस्टार बन गए थे कि लोग उनके बड़े और छोटे, दोनों भाइयों को अब भूल ही चुके हैं। लेकिन जब श्रीदेवी की लाश दुबई के एक होटल के बाथरूम में मिलने पर देव के एक भाई की लिव इन पार्टनर की कहानी भी लोगों को जानकर हैरत होगी। ये उस दौर की मशहूर एक्ट्रेस थी, जिसकी मौत को पहले स्वभाविक मौत माना गया, बाद में मर्डर के इल्जाम देव आनंद के भतीजों और चेतन आनंत के बेटों को जेल भेज दिया गया। प्रिया की लाश भी बाथरूम में ही मिली थी चेतन आनंद की इस गर्लफ्रेंड का नाम था प्रिया राजवंश, जो हीर रांझा और हंसते जख्म जैसी सुपरहिट फिल्मों में काम कर चुकी थी। दिलचस्प बात है कि श्रीदेवी ने भी दूसरी हीर रांझा फिल्म में हीर का ही रोल किया था, श्रीदेवी भी अपने लवर के लिए दूसरी थीं, हालांकि श्रीदेवी ने शादी की, प्रिया लिव इन में रहीं। सबसे दिलचस्प बात ये है कि दोनों ही मर्द यानी चेतन आनंद और बोनी कपूर डायरेक्टर थे. इनमें से एक हीरो अनिल कपूर के भाई थे और दूसरे हीरो देव आनंद के भाई और दोनों महिलाएं थी बॉलीवुड की हीरोइंस.
देव आनंद के बड़े भाई चेतन आनंद की फिल्म ‘नीचा नगर’ से ख्याति मिली थी, जिसे भारतीय फिल्मों के इतिहास में विदेशी अवॉर्ड्स के मामले में पहला मील का पत्थर माना जाता है। किसी को पता भी नहीं होगा कि राजेश खन्ना जैसे सुपर स्टार को एक टेलेंट हंट कॉम्पटीशन से ढूंढकर हीरो का चांस देने वाले भी चेतन आनंद ही थे। चेतन को आज कुछ लोग जानते भी हैं तो तो उनकी लिव इन पार्टनर प्रिया राजवंश के सनसनीखेज मर्डर और उसके इलजाम में चेतन के दोनों बेटों के जेल जाने की वजह से।
वो चेतन आनंद थे, जिन्होंने अपने दोनों छोटे भाइयों देवआनंद और विजय आनंद के लिए बॉलीवुड की मुश्किल राहें आसान की थीं। लाहौर के एक बड़े वकील के बेटे चेतन ने पहले आईसीएस (सिविल सर्विस) में किस्मत आजमाई, फिर दून स्कूल में इतिहास पढ़ाने लगे, बीबीसी के लिए भी कुछ वक्त तक काम किया। फिर राजा अशोक पर एक स्क्रिप्ट लेकर मुंबई आए, फणी मजमूदार को दिखाई, उन्होंने अपनी फिल्म में उन्हें हीरो ले लिया, और इस तरह वो हीरो बन गए, फिल्म का नाम था राजकुमार, लेकिन वो लिखने और डायरेक्टर करने के ज्यादा इच्छुक थे। 1946 में बतौर डायरेक्टर रिलीज हुई उनकी पहली ही फिल्म ‘नीचा नगर’ बॉलीवुड के इतिहास में मील का पत्थर बन गई, कान फिल्म फेस्टीवल में बेस्ट फिल्म का ग्रांड पिक्स अवॉर्ड मिला, कोई भी बड़ा विदेशी अवॉर्ड पाने वाली वो पहली भारतीय फिल्म थी। इसी फिल्म से पंडित रवीशंकर ने बॉलीवुड में अपना पहला कदम रखा।
चेतन एक्टिंग भी करते रहे, फिल्में भी डायरेक्टर करते रहे, भाई देव के साथ नवकेतन फिल्म्स की आधारशिला भी रखी। इसी दौरान उन्होंने जब एक टेलेंट हंट में राजेश खन्ना को देखा तो फौरन उन्हें अपनी अगली फिल्म ‘आखिरी खत’ के लिए साइन कर लिया। भले ही काका की फिल्म ‘राज’ पहले रिलीज हुई, लेकिन वो आखिर तक मानते रहे कि उनकी प्रतिभा को सबसे पहले चेतन ने ही पहचाना था। इसी दौरान उनकी अपनी पत्नी उमा से रिश्ते बिगड़ना शुरू हो गए, दोनों अलग हो गए।
तब उनकी जिंदगी में आईं प्रिया राजवंश, दरअस प्रिया के पिता यूनाइटेड नेशंस की सर्विस में थे और प्रिया का असली नाम था वेरा सुंदर सिंह। वो शिमला में पली बढ़ी थीं, लेकिन एक्टिंग की ट्रेनिंग उन्होंने लंदन में ली थी, उनका एक्सेंट इंगलिश था। किसी ने चेतन को प्रिया का फोटो भेजा तो उन्होंने फौरन प्रिया को अपनी नई फिल्म ‘हकीकत’ के लिए साइन कर लिया। फिल्म हकीकत आज भी बॉलीवुड की सबसे बेहतरीन वॉर फिल्मों में गिनी जाती हैं। उसके बाद तो चेतन और प्रिया एकदूसरे के करीब आते चले गए, जबकि दोनों के बीच 16 साल का फासला था। उसके बाद ना प्रिया ने कभी किसी दूसरे डायरेक्टर की फिल्म में काम किया और चेतन आनंद ने उनके बिना शायद की कोई फिल्म बनाई। हकीकत, हीर रांझा, हिंदुस्तान की कसम, हंसते जख्म, साहिब बहादुर, कुदरत, हाथों की लकीरें जैसी कई फिल्में प्रिया ने की। कुदरत में तो उनके साथ राजेश खन्ना और हेमा मालिनी भी थे। फिल्म कुदरत को एक तरह से राजेश खन्ना की कमबैक फिल्म भी माना गया था। प्रिया से रिश्तों का आलम ये था कि चेतन ने नवकेतन फिल्म्स से अलग अपनी नई फिल्म कंपनी खोल ली, जिसमें प्रिया भी पार्टनर थीं, नाम था हिमालय फिल्म्स।
दोनों सालों तक साथ साथ रहे, इधर पहली पत्नी उमा से चेतन के दोनों बेटे केतन और विवेक जवान हो चुके थे। 1997 में चेतन आनंद की मौत हो गई। तीन साल बाद 27 मार्च 2000 को प्रिया राजवंश की लाश चेतन आनंद के जुहू वाले बंगले के बाथरूम में मिली। शुरूआत में तो बिलकुल श्रीेदेवी जैसा ही हुआ, सबको लगा ये स्वभाविक मौत है। नशे में गिरने या हर्ट अटैक से हुआ होगा। लेकिन बाद में प्रिया राजवंश का लिखा एक खत सामने आया। जिसमें अपनी हत्या की आशंका और चेतन आनंद के बेटों से उसने अपनी जान के खतरे के बारे में लिखा था।
पुलिस एक्शन में आई, कुछ और सुबूतों और खत के आधार पर चेतन और उमा के दोनों बेटों को गिरफ्तार कर लिया गया और निचली अदालत ने दोनों भाइयों और उनके दो कर्मचारियों को 2002 में आजीवन कारावास की सजा सुना दी। पुलिस ने उन कर्मचारियों के बयानों के आधार पर अपनी चार्जशीट तैयार की थी। कत्ल के पीछे प्रॉपर्टी का झगड़ा बताया गया। 2011 में इस केस को सुनवाई के लिए हाईकोर्ट ने मंजूर कर लिया था और सभी को जमानत दे दी। कई बार प्रिया राजवंश और चेतन के रिश्तों पर फिल्में और टीवी सीरीज बनाने का ऐलान भी हुआ, लेकिन परदे पर साकार नही हो पाया।
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