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Desraj Inspirational Story: मुंबई के देसराज ने पोती को पढ़ाने के लिए बेच दिया घर, ऑटो में रहकर करते हैं गुजारा

Desraj Inspirational Story: एक ऐसी ही कहानी मुंबई के रहने वाले देसराज की कहानी है. जिसने सभी का न केवल दिल जीत लिया है बल्कि सोशल मीडिया पर जबरदस्त वायरल हो रही है. दरअसल, मुंबई के रहने वाले देसराज मुंबई में ऑटो चलाने वाले देसराज ने अपनी पोती को पढ़ाने के लिए अपना घर बेच दिया है

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Desraj Inspirational Story
  • February 13, 2021 1:18 pm Asia/KolkataIST, Updated 4 years ago

नई दिल्ली : वैसे तो रोजाना हम कई ऐसे किस्से सुनते हैं जिन्हें सुनकर यकिन कर पाना मुश्किल हो जाता है कि क्या यह सच है. एक ऐसी ही कहानी मुंबई के रहने वाले देसराज की कहानी है. जिसने सभी का न केवल दिल जीत लिया है बल्कि सोशल मीडिया पर जबरदस्त वायरल हो रही है. दरअसल, मुंबई के रहने वाले देसराज मुंबई में ऑटो चलाने वाले देसराज ने अपनी पोती को पढ़ाने के लिए अपना घर बेच दिया है और अब वह अपने ऑटो में सोते हैं और अब वही उनका घर है. बता दें कि देसराज ने ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे को दिए अपने इंटरव्यू में अपनी यह असल जिंदगी की कहानी लोगों के साथ सांझा की है. जिसे सुनने के बाद लोग भावुक हो गए हैं. वहीं अब देसराज यह कहानी सोशल मीडिया पर खूब पसंद की जा रही है. साथ ही कई लोगों ने देसराज की मदद की भी इच्छा जताई है.

बता दें कि ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे को दिए इंटरव्यू में देसराज ने बताया कि 6 साल पहले उनका एक बेटा लापता हो गया. वह काम पर घर से निकला था और कभी घर नहीं लौटा. एक हफ्ते बाद देसराज के 40 साल के बेटे का शव बरामद किया गया. देसराज ने बताया कि उन्हें तो अपने बेटे के गम में रोने तक का मौका नहीं मिला. परिवार की जिम्मेदारियों का भार जब उनके कंधे पर आया तो अगले ही दिन से वह ऑटो लेकर सड़क पर निकल पड़े. इसके दो साल बाद उनके दूसरे बेटे ने भी आत्महत्या कर ली. अपने दो बेटों को गंवाने वाले देसराज के कंधों पर अपनी बहू और अपने 4 पोते-पोतियों की जिम्मेदारी थी. वहीं जब उनकी पोती 9वीं में थी, तब उसने स्कूल छोड़ने की इच्छा जताई थी. तब देसराज ने अपनी पोती को आश्वस्त किया था कि वह जितनी पढ़ाई करना चाहे, करे. ज्यादा कमाने के लिए देसराज लंबी शिफ्ट में काम करने लगे. वह सुबह 6 बजे घर से निकलते और देर रात तक ऑटो चलाते थे. इससे उन्हें हर महीने 10 हजार की कमाई होती थी. देसराज बताते हैं कि इसमें से 6 हजार रुपये बच्चों की स्कूल की फीस में खर्च हो जाते हैं. बाकी के चार हजार में वह सात लोगों के परिवार का पेट भरते हैं.

देसराज ने आगे कहा कि आधे से ज्यादा दिनों में हमारे पास खाने के लिए कुछ नहीं होता है. उन्होंने कहा कि इन सबकी कीमत तब अदा हो गई जब मेरी पोती ने 12वीं में 80 प्रतिशत अंक लाए थे. तब पूरे दिन उन्होंने ग्राहकों को फ्री में राइड दी थी. इसके बाद उनकी पोती ने दिल्ली के कॉलेज से बीएड करने की इच्छा जताई. देसराज जानते थे कि वह इसे अफोर्ड नहीं कर पाएंगे लेकिन उन्हें अपनी पोती का सपना किसी भी कीमत पर जरूर पूरा करना था. इसलिए देसराज ने अपना घर बेच दिया. उनकी पत्नी, बहू और बाकी पोते-पोतियां गांव में एक रिश्तेदार के घर रहने के लिए चले गए लेकिन वह मुंबई में ही रुक गए और ऑटो चलाने का अपना काम जारी रखा. देसराज ने बताया, ‘एक साल हो गए और जिंदगी इतनी भी बुरी नहीं है. मैं अपने ऑटो में ही खाता और सोता हूं और दिन के समय लोगों को उनकी मंजिल पर पहुंचाता हूं।’

देसराज ने बताया कि उनके सारे दुख-दर्द दूर हो जाते हैं जब उनकी पोती उन्हें फोन करती है और कहती है कि वह अपनी क्लास में फर्स्ट आई है. उन्होंने कहा, ‘मुझसे उन दिन का इंतजार नहीं होता जब वह टीचर बन जाएगी और तब मैं उसे गले लगाकर कहूंगा कि मुझे तुम पर गर्व है. वह मेरे परिवार में पहली ग्रेजुएट होने जा रही है’ देसराज ने कहा कि ऐसा दिन आने पर वह एक बार फिर अपने ग्राहकों को फ्री राइड देंगे.

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