नई दिल्ली: मंकीपॉक्स, जिसे अब एमपॉक्स के नाम से भी जाना जाता है, तेजी से फैल रही एक वायरल बीमारी है। भारत में इसके प्रसार को लेकर स्वास्थ्य अलर्ट जारी किया गया है और केंद्र सरकार ने उच्चस्तरीय बैठकें कर इस पर नियंत्रण पाने के उपायों पर चर्चा की है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि मंकीपॉक्स जैसे बीमारियों के नाम के अंत में ‘पॉक्स’ शब्द क्यों जोड़ा जाता है? आइए जानें इसके पीछे का कारण।
मंकीपॉक्स के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इस वायरस का विशेष इलाज नहीं है, लेकिन अगर किसी को पहले स्मालपॉक्स की वैक्सीन लगी है, तो उनके लिए इसका खतरा कम हो सकता है। दिल्ली में सफदरजंग, राम मनोहर लोहिया और लेडी हार्डिंग अस्पतालों को इस बीमारी के नोडल अस्पताल के रूप में तैयार किया गया है।
‘पॉक्स’ शब्द का उपयोग बीमारियों के नाम में क्यों किया जाता है, यह जानना दिलचस्प है। वास्तव में, ‘पॉक्स’ का मतलब शरीर पर छोटी-बड़ी फुंसी या गड्डे जैसे घावों से है। यह शब्द आमतौर पर चेचक (स्मालपॉक्स) जैसी बीमारियों के लिए उपयोग होता है, जिसमें शरीर पर फुंसियां और घाव होते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में चेचक को ‘माता जी का आना’ भी कहा जाता है, लेकिन चिकित्सा विज्ञान के अनुसार इसका सही नाम ‘पॉक्स’ है। जब किसी भी वायरस के कारण शरीर में ऐसी फुंसियां और गड्डे नुमा घाव होते हैं, तो उसे ‘पॉक्स’ से जोड़कर देखा जाता है।
मंकीपॉक्स के तेजी से फैलने के कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे अंतरराष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (PHEIC) घोषित किया है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, 2022 से 116 देशों में एमपॉक्स के 99,176 मामले और 208 मौतें दर्ज की गई हैं। इस साल अब तक मामलों की संख्या पिछले साल की तुलना में अधिक है, जिसमें 15,600 से अधिक मामले और 537 मौतें शामिल हैं। इस प्रकार, ‘पॉक्स’ शब्द का इस्तेमाल ऐसे बीमारियों के नाम में किया जाता है जिनमें शरीर पर फुंसियां और गड्डे जैसे घाव होते हैं, और यह नाम चिकित्सा विज्ञान में विशिष्ट लक्षणों को दर्शाता है।
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