नई दिल्ली : SC ने भाषा और बोलने की अक्षमता की वजह से MBBS पाठ्यक्रम में प्रवेश से वंचित की गई एक लड़की के पक्ष में फैसला सुनाया है. SC ने कहा कि कौन जानता है किसी दिन वह एक बेहतरीन डॉक्टर बन सकती है. उस लड़की को उसकी भाषा और बोलने की अक्षमता के […]
नई दिल्ली : SC ने भाषा और बोलने की अक्षमता की वजह से MBBS पाठ्यक्रम में प्रवेश से वंचित की गई एक लड़की के पक्ष में फैसला सुनाया है. SC ने कहा कि कौन जानता है किसी दिन वह एक बेहतरीन डॉक्टर बन सकती है. उस लड़की को उसकी भाषा और बोलने की अक्षमता के कारण MBBS पाठ्यक्रम में प्रवेश से वंचित कर दिया गया था. SC ने एक मेडिकल बोर्ड को निर्देश दिया है कि पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ इस मामलें में आगे जांच करेगा.
SC के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पार्डीवाला की पीठ ने निर्देश दिया कि चंडीगढ़ स्थित PGIMER के निदेशक एक मेडिकल बोर्ड गठित करें. जिसमें भाषा एवं बोलने की अक्षमता का एक विशेषज्ञ भी शामिल हो और वह बोर्ड हरियाणा की इस लड़की का परीक्षण करें.
पीठ ने यह भी निर्देश दिया कि परीक्षण के बाद एक महीने के भीतर बोर्ड की रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल की जाए. सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता लड़की को इस आधार पर MBBS पाठ्यक्रम में प्रवेश से वंचित कर दिया गया है कि वह भाषा और बोलने में 55 प्रतिशत अक्षम है.
शीर्ष अदालत ने इस मामले में पिछले वर्ष 26 सितंबर को केंद्र और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग को नोटिस जारी किया था. तब लड़की के वकील गौरव अग्रवाल ने बताया था कि राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा पास करने के बावजूद लड़की को प्रवेश से वंचित किया जा रहा है.
गौरव अग्रवाल ने पहले कहा था कि राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा पास करने के बावजूद छात्रा को उसके शिक्षा के अधिकार से वंचित किया जा रहा है क्योंकि वह बोलने में अक्षम है. उसने कहा था कि उसकी विकलांगता नए नियमों के तहत योग्य है और उसे आरक्षित कोटे में समायोजित किया जा सकता है.
कारगिल युद्ध के साजिशकर्ता थे मुशर्रफ, 1965 में भारत के खिलाफ लड़े थे युद्ध
Parvez Musharraf: जानिए क्या है मुशर्रफ-धोनी कनेक्शन, लोग क्यों करते हैं याद