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झारखंड रोपवे हादसा: 30 लोगों की जिंदगी पर है संकट, जाने भारत के सबसे बड़े रोपवे के बारे में

रांची: झारखंड के देवघर जिले में त्रिकूट रोपवे पर रविवार देर शाम एक हादसा हो गया. यहां रोपवे के ख़राब होने के चलते कुछ कैबिन आधे-रास्ते पर हवा में लटक गए, जिसमें 48 लोग फ़स गए थे. सोमवार तड़के सुबह से सेना रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही है. अब तक 18 लोगों को रेस्क्यू कर सुरक्षित […]

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झारखंड रोपवे हादसा: 30 लोगों की जिंदगी पर है संकट, जाने भारत के सबसे बड़े रोपवे के बारे में
  • April 11, 2022 3:55 pm Asia/KolkataIST, Updated 3 years ago

रांची: झारखंड के देवघर जिले में त्रिकूट रोपवे पर रविवार देर शाम एक हादसा हो गया. यहां रोपवे के ख़राब होने के चलते कुछ कैबिन आधे-रास्ते पर हवा में लटक गए, जिसमें 48 लोग फ़स गए थे. सोमवार तड़के सुबह से सेना रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही है. अब तक 18 लोगों को रेस्क्यू कर सुरक्षित निकाल लिया है. लेकिन अभी 30 लोग हवा में फंसे हुए है. बता दे कि एनडीआरएफ की टीम और सेना ये संयुक्त बचाव ऑपरेशन पिछले 24 घंटे से चल रहा है।

ऐसे हुआ था हादसा

बताया जा रहा है कि ये हादसा उस दौरान हुआ जब रोपवे पर नीचे से आ रही ट्राली ऊपर से जा रही ट्राली से टकरा गई. इस टक्कर में रोपवे पर सवार कई लोग घायल हो गए. हादसे के वक्त दो दर्जन से अधिक ट्रालियां हवा में थी, जिसमें से कई लोगों को तुरंत आनन-फानन में सुरक्षित उतारा गया।

दो की मौत, कई घायल

ताजा मिली जानकारी के अनुसार में हादसे में घायल होने वालों को देवघर के सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया. जिसमें इलाज के दौरान दो महिलाओं की मौत हो गई. जिला कलेक्टर मंजूनाथ भैजंत्री ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि फिलहाल रोपवे को बंद कर दिया गया है. बचाव टीमें लोगों को सुरक्षित निकालनें का प्रयास कर रही कर रही है।

भारत में सबसे ऊंचा है त्रिकूट रोपवे

त्रिकूट पर्वत की ऊचाई समुद्र तल से 2,470 फ़ीट है. त्रिकूट देवघर शहर से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यह रोपवे समुद्र तल से 1500 फ़ीट की उचाई पर है. इस पहाड़ की तलहटी मयूराक्षी नदी से घिरी हुई है. रोपवे की लम्बाई लगभग 766 मीटर (2512) फुट है. इस रोपवे में पर्यटकों के लिए कुल 26 केबिन है, जिसमें से घटना के वक़्त 12 केबिन हवा में फ़स गए थे. इस रोपवे के जरिये पहाड़ की चोटी पर पहुंचने के लिए पर्यटकों को 8 से 10 मिनट का समय लगता है. रोपवे का एक साइड का खर्च 130 रूपये है.

2009 में हुई थी इस रोपवे की शुरुआत

यह झारखंड का एकमात्र रोपवे है, जिसकी शुरुआत साल 2009 में हुई थी. यह रोपवे नियमित रूप से सुबह 9 बजे से शाम 5 तक खुला रहता है.

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