नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के देवबंद में जमीयत उलमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने अगले साल अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संभावित भागीदारी और कुछ मुस्लिम नेताओं द्वारा प्रस्तावित मस्जिद की नींव रखने के लिए पीएम से अपील करने पर तीखी आलोचना की है। उन्होंने शुक्रवार को जारी बयान में कहा कि हमने पहले ही यह स्पष्ट कर दिया था कि अयोध्या विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला किया था, हम उसको सही नहीं मानते हैं।
जमीयत उलमा-ए-हिंद ने न्यायालय के फैसले के तुरंत बाद अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी थी कि यह निर्णय गलत माहौल में गलत सिद्धांतों और आधारों पर दिया गया है। जो कानूनी और ऐतिहासिक तथ्यों के भी खिलाफ है। मौलाना मदनी ने आगे कहा कि ऐसे में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को किसी भी पूजा स्थल के उद्घाटन के लिए बिल्कुल भी नहीं जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बल्कि उचित यह है कि धार्मिक अनुष्ठान राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त हों और यह धार्मिक लोगों द्वारा ही किए जाएं।
मौलाना महमूद मदनी ने जमीयत उलमा-ए-हिंद के सभी स्तर के पदाधिकारियों को भी खबरदार किया है कि वह संगठन के रुख के खिलाफ किसी भी गैर जिम्मेदाराना बयान से बचें। उन्होंने आगे कहा कि एक अंग्रेजी अखबार में जमीयत के किसी स्थानीय पदाधिकारी के हवाले से पीएम मोदी से मस्जिद के उद्घाटन में शामिल होने की अपील पर आधारित एक बयान छापा गया है, जो जमीयत के रुख के खिलाफ है। इसलिए सभी पदाधिकारी किसी भी तरह की बयानबाजी से बचें।
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