नोटबंदी पर रघुराम राजन ने कहा कि सरकार ने नवंबर 2016 में नोटबंदी लागू करने से पहले रिजर्व बैंक के साथ कोई विचार विमर्श नहीं किया था. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कुल मुद्रा का 87.5 फीसद हिस्सा को बैन करना अच्छा आइडिया नहीं था.
न्यूयॉर्क. जहां एक ओर नवंबर 2016 में नोटबंद को मोदी सरकार के द्वारा ऐतिहासिक फैसला बताया गया. वहीं दूसरी ओर अभी तक मोदी सरकार के इस फैसले की आलोचनाएं हो रही है. इसी क्रम में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि भारत सरकार द्वारा नवंबर, 2016 में नोटबंदी का फैसला जल्दबाजी भरा कदम था. इस नोटबंदी का देश को कोई फायदा नहीं हुआ.
पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने मंगलवार को कैंब्रिज के हार्वर्ड केनेडी स्कूल में छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि जीएसटी का क्रियान्वयन यदि बेहतर तरीके से होता तो यह अच्छा होता. उन्होंने कहा रि यह ऐसी समस्या नहीं है जिसका हल नहीं हो सकता. हम इस पर काम कर सकते हैं. अभी मैंने इस पर उम्मीद नहीं छोड़ी है. पूर्व गवर्नर ने कहा कि जो भी भारत को जानता है, उसे पता है कि जल्द ही वह नई प्रणाली के आसपास इसका तरीका ढूंढ लेगा.
न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के अनुसार नोटबंदी पर रघुराम राजन ने इस दावे को खारिज किया कि मोदी सरकार द्वारा 1,000 और 500 का नोट बंद करने की घोषणा से पहले रिजर्व बैंक से सलाह मशविरा नहीं किया गया था. राजन ने दोहराया कि 87.5 प्रतिशत मूल्य की मुद्रा को रद्द करना सही कदम नहीं था. उन्होंने कहा कि कोई भी अर्थशास्त्री यही कहेगा कि यदि 87.5 प्रतिशत मुद्रा को रद्द करना है तो पहले यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि उतनी ही मुद्रा छापकर उसे प्रणाली में डालने के लिए तैयार रखा जाए.
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