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लोकतंत्र की हत्या हुई… महुआ मोइत्रा की सांसदी जाने पर बोलीं ममता बनर्जी

कोलकाता: कैश फॉर क्वैरी मामले में एथिक्स कमेटी ने आज अपनी रिपोर्ट संसद में पेश कर दिया. इस रिपोर्ट में टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा की लोकसभा सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की गई थी. रिपोर्ट पेश होने के बाद सदन में इस पर चर्चा हुई. फिर वोटिंग के बाद महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता को […]

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लोकतंत्र की हत्या हुई… महुआ मोइत्रा की सांसदी जाने पर बोलीं ममता बनर्जी
  • December 8, 2023 5:15 pm Asia/KolkataIST, Updated 1 year ago

कोलकाता: कैश फॉर क्वैरी मामले में एथिक्स कमेटी ने आज अपनी रिपोर्ट संसद में पेश कर दिया. इस रिपोर्ट में टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा की लोकसभा सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की गई थी. रिपोर्ट पेश होने के बाद सदन में इस पर चर्चा हुई. फिर वोटिंग के बाद महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता को रद्द कर दिया गया. मोइत्रा की सांसदी जाने से तृणमूल कांग्रेस भड़क गई है. टीएमसी प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि आज संसद में लोकतंत्र की हत्या हुई है.

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने क्या कहा?

टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने कोलकाता में महुआ मोइत्रा की सांसदी जाने के मुद्दे पर मीडिया से बात की. इस दौरान उन्होंने कहा कि आज मुझे बीजेपी पार्टी का रवैया देखकर दुख हो रहा है. उन्होंने लोकतंत्र को कैसे धोखा दिया. उन्होंने महुआ को अपना पक्ष स्पष्ट करने की अनुमति नहीं दी. पूरी तरह से अन्याय हुआ है. मैं आपको बता रही हूं कि महुआ परिस्थितियों का शिकार है. मैं इसकी कड़ी निंदा करती हूं. हमारी पार्टी इंडिया गठबंधन के साथ लड़ेगी. यह लोकतंत्र के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है. इसके साथ ही सीएम बनर्जी ने कहा कि ये बीजेपी की बदले की राजनीति है. उन्होंने लोकतंत्र की हत्या की है. जनता न्याय करेगी. वे (बीजेपी) अगला चुनाव में हार जाएंगे.

महुआ को नहीं मिला बोलने का मौका

बता दें कि एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट पर चर्चा के दौरान महुआ मोइत्रा सदन में अपनी बात रखना चाहती थीं. हालांकि लोकसभा स्पीकर ने उन्हें बोलने की इजाजत नहीं दी. स्पीकर ओम बिरला ने कहा है कि मोइत्रा को पैनल मीटिंग में बोलने का अवसर दिया गया था. बता दें कि इससे पहले आज लोकसभा में एथिक्स कमेटी ने अपनी रिपोर्ट लोकसभा में पेश की. इस रिपोर्ट में कमेटी ने महुआ की संसद सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की थी, इसके साथ ही कानूनी जांच की मांग भी की थी. वहीं, तृणमूल कांग्रेस ने मांग की थी कि 500 पेज वाली इस रिपोर्ट को पढ़ने के लिए स्पीकर द्वारा 48 घंटे का वक्त दिया जाए.

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