देश-प्रदेश

Delhi: क्या है मोहल्ला क्लीनिक घोटाला, आंकड़ों से समझिए…

नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार पर बड़ा आरोप लगा है। दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना की पहल पर किए गए एक ऑडिट में पता चला है कि दिल्ली के मोहल्ला क्लीनिकों में बड़े पैमाने पर फर्जी लैब टेस्ट किए जा रहे थे। ये टेस्ट गैर-मौजूद मरीजों के नाम पर किए गए, जिनका अस्तित्व ही नहीं है। इस घोटाले का आंकड़ा सैकड़ों करोड़ रुपये का बताया जा रहा है।

घोटाले की मुख्य बातें:

  • फर्जी मरीज और टेस्ट का घोटाला जुलाई 2023 से सितंबर 2023 तक का है।
  • प्राइवेट लैब के साथ मिलकर लाखों फर्जी टेस्ट किए गए, जिनके बिल सरकार को भेजे गए।
  • फर्जी मरीज बनाने के लिए गैर-मौजूद या नकली मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल किया गया।
  • कुछ तो मोहल्ला क्लीनिक के डॉक्टरों ने ही हाजिरी लगाने के लिए प्री-रिकॉर्डेड वीडियो का इस्तेमाल किया!
  • इन क्लीनिकों में डॉक्टरों की गैर-मौजूदगी में अनधिकृत स्टाफ मरीजों ही सलाह और दवाइयां देता रहा. इससे न सिर्फ मेडिकल प्रक्रियाओं का उल्लंघन हुआ, बल्कि मरीजों के स्वास्थ्य को भी खतरा पहुंचा.

दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना के निर्देश पर हुए नियमित निरीक्षण में ये गड़बड़ियां सामने आईं। उन्होंने ही दिसंबर 2022 में मरीजों के टेस्ट के लिए प्राइवेट कंपनियों को अनुमति दी थी।

कौन हैं घोटाले में शामिल?

एगिलस डायग्नोस्टिक्स लिमिटेड
मेट्रोपोलिस हेल्थ केयर लिमिटेड

ये दोनों कंपनियां ही मोहल्ला क्लीनिक में लैब टेस्ट की जिम्मेदारी सम्भाल रही थीं।

घोटाले के आंकड़े

पांच मोहल्ला क्लीनिकों (जफर कलां, उजवा, शिकारपुर, गोपाल नगर, धंसा) में फरवरी से सितंबर के बीच कुल 15,463 टेस्ट किए गए।
52 मामलों में मरीज का मोबाइल नंबर ही खाली छोड़ा गया।
358 मामलों में ऐसे नंबर दर्ज किए गए, जो भारत में मौजूद ही नहीं हैं (1, 2, 3, 4, 5 से शुरू)।
71 मामलों में एक ही नंबर का इस्तेमाल 15 बार या उससे ज्यादा बार किया गया।
दो मोहल्ला क्लीनिकों (जग्जीत नगर, बिहारी कॉलोनी) में कुल 2262 टेस्ट किए गए।
26 मामलों में एक ही नंबर का इस्तेमाल 10 बार या उससे ज्यादा बार किया गया।
3092 मामलों में अलग-अलग मरीजों के नाम दर्ज हैं, लेकिन सभी का मोबाइल नंबर एक ही है (9999999999)।
111 मामलों में एक ही नंबर का इस्तेमाल 15 बार या उससे ज्यादा बार किया गया।
अगिलस लैब में तो हालात और बदतर हैं:
11,657 मामलों में मरीज के नाम अलग-अलग हैं, लेकिन मोबाइल नंबर का सिर्फ आखिरी अंक 0 है।
8199 मामलों में मरीज का मोबाइल नंबर ही खाली छोड़ा गया है।
42 मामलों में ऐसे नंबर दर्ज किए गए हैं जो भारत में इस्तेमाल ही नहीं किए जा सकते।
817 मामलों में एक ही नंबर का इस्तेमाल 15 बार या उससे ज्यादा बार किया गया।

कौन कौन से क्लीनिक का नाम सामने आया है:

जफर कलां
उजवा
शिकारपुर
गोपाल नगर
धंसा
जगजीत नगर
बिहारी कॉलोनी

जिन डॉक्टरों और स्टाफ ने नकली हाजिरी लगाई उनका पैनल से नाम हटा दिया गया है और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है।

Vaibhav Mishra

असिस्टेंट प्रोड्यूसर- इनखबर | राजनीति और विदेश के मामलों पर लिखने/बोलने का काम | IIMT कॉलेज- नोएडा से पत्रकारिता की पढ़ाई | जन्मभूमि- अयोध्या, कर्मभूमि- दिल्ली

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