नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बीबीसी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग पर कांग्रेस छात्र नेता के अयोग्यता को रद्द करने के हाईकोर्ट के सिंगल बेंच के आदेश के खिलाफ दिल्ली विश्वविद्यालय ने उच्च न्यायालय के डिवीजन बेंच का रुख किया. पीएचडी स्कॉलर और एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव लोकेश चुघ को स्क्रीनिंग में कथित संलिप्तता के कारण एक वर्ष की अवधि के लिए यूनिवर्सिटी प्रशासन ने परीक्षा देने से रोक दिया था. जिसको उच्च न्यायालय की सिंगल बेंच ने रद्द कर दिया था. मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस नजमी वजीरी की खंडपीठ ने विश्वविद्यालय की अपील पर लोकेश चुघ को नोटिस जारी कर जवाब मांगा.
लोकेश चुघ ने विश्वविद्यालय रजिस्ट्रार ऑफिस द्वारा 10 मार्च को पारित उस मेमोरेंडम को दिल्ली हाईकोर्ट के सिंगल बेंच के समक्ष चुनौती दी थी, जिसमें चुग को 1 साल तक परीक्षा देने पर रोक लगा दी थी. राष्ट्रीय सचिव लोकेश चुघ ने 16 फरवरी 2023 को प्रॉक्टर कार्यालय द्वारा जारी किया गया कारण बताओ नोटिस को भी चुनौती दी थी. इस नोटिस में कहा गया था कि उनके द्वारा कानून व्यवस्था को परेशान किया गया. वह उसमें शामिल थे.दिल्ली विश्वविद्यालय ने लोकेश चुघ किनयाचिका का जवाब देते हुए कहा था कि परिसर के अंदर डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग कर अनुशासनहीनता की गई और कानून व्यवस्था के साथ खिलवाड़ किया गया.
दिल्ली विश्वविद्यालय ने अपनी अपील में कहा है कि सिंगल बेंच ने तथ्य को समझे बिना ही आदेश पारित कर दिया। चुघ ने स्वयं अपनी याचिका में स्वीकार किया कि दिल्ली यूनिवर्सिटी में कुछ छात्रों द्वारा विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया था.
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