Delhi CM LG Power Tussle Verdict 10 points: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार बनाम दिल्ली उपराज्यपाल मामले में फैसला सुना दिया है. शीर्ष अदालत ने दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने से इनकार किया. कोर्ट ने कहा कि दिल्ली उपराज्यपाल (LG) दिल्ली सरकार यानी आम आदमी पार्टी (AAP) की अरविंद केजरीवाल सरकार के फैसलों को लटका नहीं सकती.
नई दिल्ली.दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार और उपराज्यपाल के बीच मचे घमासान को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया. सबसे अहम था कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देना मुमकिन नहीं है. शीर्ष अदालत ने कहा कि दिल्ली का असली बॉस दिल्ली की सरकार यानी आम आदमी पार्टी (AAP) की अरविंद केजरीवाल सरकार है. SC ने सुनवाई के दौरान कहा कि दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल दिल्ली सरकार के किसी फैसले को अटका नहीं सकते हैं. जानिए केजरीवाल सरकार Vs LG मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की 10 अहम व बड़ी बातें.
गौरतलब है कि दिल्ली की आप सरकार VS उपराज्यपाल का ये मामले दिल्ली हाईकार्ट में था. जहां उच्च न्यायालय ने दिल्ली के उपराज्यपाल को बॉस बताया था. सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला पलट दिया. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल को बड़ी राहत मिली है. बता दें दिल्ली हाईकोर्ट ने 4 अगस्त, 2016 को कहा था कि उपराज्यपाल (LG) ही दिल्ली के प्रशासनिक प्रमुख हैं. साथ ही HC ने कहा था कि दिल्ली सरकार एलजी की मर्जी के बिना कानून नहीं बना सकती.
Delhi CM LG Power Tussle Verdict 10 points:सुप्रीम कोर्ट के फैसले की 10 मुख्य व बड़ी बातें
1. सुप्रीम कोर्ट ने AAP VS LG मामले में दिल्ली सरकार को बड़ी राहत दी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली का असली बॉस दिल्ली की सरकार यानी जनता द्वारा चुनी गई सरकार है.
2. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देना मुमकिन नहीं है.
3. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने टिप्पणी करते हुए कहा कि दिल्ली के उपराज्यपाल व दिल्ली सरकार को साथ में मिलकर काम करना चाहिए. पुलिस, जमीन और पब्लिक ऑर्डर के अलावा दिल्ली विधानसभा कोई भी कानून बना सकती है. बता दें ये सबजेक्ट केंद्र सूची में शामिल हैं इसीलिए इस पर कानून बनाने का अधिकार केंद्र का होता है.
4. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली की स्थिति बाकी केंद्र शासित राज्यों और पूर्ण राज्यों से अलग है. यहां पर किसी भी अराजकता की जगह नहीं है.
5. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की संविधान पीठ ने यह फैसला सुनाया. जिसमें चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के साथ जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण शामिल हैं.
6. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उपराज्यपाल सभी फैसले राष्ट्रपति को नहीं भेज सकते. उन्हें अपना दिमाग लगा कर फैसले लेने होंगे.
7. 5 जजों की संवैधानिक पीठ ने कहा कि हर फैसले के लिए एलजी की सहमति जरूरी नहीं.
8. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि काम करने के लिए सभी की सामूहिक जिम्मेदारी, नैतिकता है. इसीलिए एलजी को दिल्ली सरकार के साथ सौहार्दपूर्वक काम करना चाहिए.
9. दिल्ली की जनता ने अरविंद केजरीवाल सरकार को चुना है इसीलिए वह फैसले लेने के लिए स्वतंत्र हैं
10. दिल्ली के स्पेशल स्टेटस को देखते हुए बैलेंस बनाना जरूरी है. दिल्ली देश की राष्ट्रीय राजधानी है यहां किसी भी प्रकार का टकराव उचित नहीं.
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