नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दिल्ली के महरौली में ध्वस्त 600 साल पुरानी अखूनजी मस्जिद में रमज़ान के महीने के दौरान नमाज पड़ने का अधिकार मांगने वाली याचिका खारिज कर दी। न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि शब-ए-बारात के दौरान प्रवेश की मांग करने वाली इसी तरह की याचिका पहले ही खारिज कर दी गई थी।
अदालत ने बताया कि पूर्वोक्त 23 फरवरी में दिया गया तर्क वर्तमान आवेदन के संदर्भ में भी लागू होता है। इन परिस्थितियों में इस न्यायालय के लिए अलग दृष्टिकोण अपनाने का कोई औचित्य नहीं है। नमाज़ के अधिकार के लिए आवेदन मुंतजमिया कमेटी मदरसा बहरूल उलूम और कब्रिस्तान द्वारा दायर किया गया था।
23 फरवरी को, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली वक्फ बोर्ड की प्रशासनिक समिति द्वारा दायर एक याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें स्थानीय लोगों को उस भूमि पर शब-ए-बारात मनाने की अनुमति मांगी गई थी, जहां कभी अखूंदजी/अखूनजी मस्जिद, कब्रिस्तान और मदरसा हुआ करते थे। 30 जनवरी की सुबह दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने महरौली में अखुंजी मस्जिद और बहरुल उलूम मदरसा को ध्वस्त कर दिया था।
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