Delhi NCR Terror Threat, Bharat me Aatanki Hamle Ki Aashanka: दिल्ली-एनसीआर में जैश-ए-मोहम्मद आतंकी संगठन के चार आतंकवादियों के घुसने की खबर है. इसके बाद दिल्ली और उसके आस-पास के इलाकों में हाई अलर्ट जारी कर दिया है. भारत और पाकिस्तान के बीच उपजे तनाव और जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के बाद मसूद अजहर का आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद दिल्ली में बड़े हमले को अंजाम दे सकता है. मगर सवाल यह है कि इस समय जैश के निशाने पर कौन है?
नई दिल्ली. ट्रंप प्रशासन में भारत-प्रशांत सुरक्षा मामलों के सहायक रक्षा मंत्री रेंडेल श्राइवर का यह आगाह करना कि पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन भारत पर आतंकी हमलों की योजना बना रहे हैं. जैश-ए-मोहम्मद द्वारा पीएम मोदी और एनएसए अजीत डोभाल को टारगेट करने के लिए स्पेशल स्क्वॉड बनाने की योजना, जम्मू में एक बस से 15 किलो विस्फोटक की बरामदगी और उसके आरडीएक्स होने का शक और फिर राजधानी दिल्ली में जैश के आतंकियों के घुसने की पुख्ता सूचना महज इत्तेफाक नहीं है और ना ही अफवाहें. निश्चित रूप से पाक प्रायोजित आतंकवादी संगठनों द्वारा इस तरह की विध्वंसकारी योजनाओं को अंजाम तक पहुंचाने की हरसंभव कोशिश की जा रही है जिसका अलर्ट भारत की खुफिया एजेंसियों को भी लगातार मिल रही है. यहां एक बात और गौर करने की है कि हाल के दिनों में हमले के जो भी अलर्ट मिले हैं उसमें जैश-ए-मोहम्मद का नाम जरूर आ रहा है. यहां यह जानना जरूरी है कि आखिर क्या है जैश-ए-मोहम्मद और इसे भारत से इतनी नफरत क्यों है? भारत में कौन है जैश के निशाने पर?
जैश-ए-मोहम्मद एक जिहादी इस्लामी उग्रवादी संगठन है जिसका मुख्य मकसद भारत से कश्मीर को अलग कराना है. इस रास्ते में जो भी आता है वह इसका दुश्मन बन जाता है. यह संगठन पाकिस्तान से ही अपनी आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देता है और इसमें पाकिस्तानी सेना, आईएसआई और पाक सरकार भी इसे सहयोग करती है. इस संगठन की स्थापना मसूद अजहर नामक पाकिस्तानी पंजाबी नेता ने मार्च 2000 में की थी और इसे भारत में हुए कई आतंकी हमलों के लिए ज़िम्मेदार ठहराया जाता है.
कंधार विमान अपहरण से पहले मसूद अज़हर जब भारत की जेल में बंद था तो उसे छुड़ाने के लिए ही आतंकियों ने 31 दिसंबर 1999 को भारत के एक विमान को अगवा कर लिया था. इस विमान में कुल 176 यात्री सवार थे. अपहृत विमान में सवार यात्रियों को बचाने के लिए भारत सरकार को मसूद अजहर समेत तीन आतंकवादियों को कंधार ले जाकर छोड़ने का फैसला लेना पड़ा था और तभी वही मसूद अजहर भारत में बड़ी-बड़ी आतंकी घटनाओं को अंजाम दे रहा है.
इन घटनाओं में दिसम्बर 2001 में लश्कर-ए-तैयबा के साथ मिलकर भारतीय संसद पर आत्मघाती हमला भी शामिल है. इसके अलावा 24 सितंबर 2002 को लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के दो आतंकवादियों ने मिलकर गुजरात के गांधीनगर में अक्षरधाम मंदिर में हमला किया था. 29 अक्टूबर 2005 को जैश और लश्कर के आतंकियों ने मिलकर दिल्ली में सीरियल ब्लास्ट को अंजाम दिया.
2 जनवरी 2016 को पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले में भी जैश-ए-मोहम्मद का हाथ था. 18 सितंबर 2016 को जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में स्थित भारतीय सेना के स्थानीय मुख्यालय पर फिदायीन हमला किया था जिसमें 18 जवान शहीद हो गए थे. 14 फरवरी 2019 को कश्मीर के पुलवामा में आत्मघाती हमले में 40 से अधिक जवानों की मौत में भी जैश का हाथ था. राजधानी दिल्ली में जिन आतंकियों के घुसने की बात की जा रही है उसके पीछे भी जैश का हाथ बताया जा रहा है.
कैटेगरी-ए के इंटेलिजेंस इनपुट के बाद दिल्ली पुलिस की स्पेशल टीम छापेमारी कर रही है. कैटिगरी-ए के इनपुट को एक्सट्रीमली क्रेडिबल यानी अति विश्वसनीय माना जाता है. कुछ दिन पहले एक अंग्रेजी दैनिक ने भी एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया था कि जैश-ए-मोहम्मद ने पीएम मोदी और एनएसए अजीत डोभाल को टारगेट करने के लिए स्पेशल स्क्वॉड बनाया है. बहुत संभव है दिल्ली में घुसे जैश के आत्मघाती आतंकी उसी स्पेशल स्क्वॉड के सदस्य हों. जैसा कि हमने शुरू में ही इस बात का उल्लेख किया है कि जैश-ए-मोहम्मद का मुख्य उद्देश्य कश्मीर को भारत के कब्जे से मुक्त कराना है और इस रास्ते में जो भी आएगा वह उसके टारगेट में आ जाता है.
जाहिर सी बात है, नरेंद्र मोदी की लीडरशिप में गृह मंत्री अमित शाह और एनएसए अजीत डोभाल ने जम्मू और कश्मीर से आर्टिकल 370 को जिस तरह से खत्म कर दिया और जैश के लिए यह कश्मीर अब सपने जैसा हो गया तो इससे जैश आपे से बाहर हो गया है. इससे पहले मोदी सरकार की वजह से चीन के बार-बार वीटो के बावजूद संयुक्त राष्ट्र को मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने का फैसला सुनाना पड़ा. इन तमाम वजहों से पीएम मोदी और अजीत डोभाल जैश के निशाने पर आ गए हैं.