नई दिल्लीः दिवाली के बाद भी हरियाणा और पंजाब में पराली जल रही है। जिसकी वजह से दिल्ली और एनसीआर में वायु प्रदूषण का स्तर एक बार फिर से बढ़ने लगा है। जिसके चलते दिल्ली और एनसीआर के कई इलाकों की हवा की गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ श्रेणी में शामिल हो रही है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण […]
नई दिल्लीः दिवाली के बाद भी हरियाणा और पंजाब में पराली जल रही है। जिसकी वजह से दिल्ली और एनसीआर में वायु प्रदूषण का स्तर एक बार फिर से बढ़ने लगा है। जिसके चलते दिल्ली और एनसीआर के कई इलाकों की हवा की गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ श्रेणी में शामिल हो रही है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक, दिल्ली भर में वायु गुणवत्ता बहुत खराब श्रेणी में बनी हुई है। दिल्ली आज मंगलवार सुबह भी धुंध की चादर में लिपटी रही। सीपीसीबी के मुताबिक, आज सुबह आनंद विहार में AQI 374, जहांगीरपुरी में 399, लोधी रोड में 315, न्यू मोती बाग में 370 दर्ज किया गया है। वहीं औसत एक्यूआई 323 रिकॉर्ड किया गया है।
इससे पहले सोमवार को दिल्ली-एनसीआर में सुबह वायु गुणवत्ता का स्तर 430 के पार चला गया। आनंद विहार में एक्यूआई 388, आरके पुरम में 353, पंजाबी बाग में 419 और आईटीओ में 335 रहा। मौसम विभाग के मुताबिक, आगामी कुछ दिनों में दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के साथ साथ कोहरा भी छाने लगेगा।
सोमवार को भी पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में लगभग एक हजार पराली जलाने के मामले सामने आए हैं। हवा की रफ्तार बेहद कम होने के चलते दिल्ली के वायु मंडल में प्रदूषक कणों का बिखराव बेहद धीमा हो गया है। इसके चलते दिल्ली के लोग “बहुत खराब” या “गंभीर” श्रेणी की हवा में सांस ले रहे हैं
पंजाब और हरियाणा के खेतों में जलाई जाने वाली पराली भी इस स्थिति को और खराब करने में योगदान कर रही है। दिवाली से पहले 10 और 11 नवंबर को पराली जलाने की मामूली घटनाएं सामने आई थीं। इसके पीछे कारण एक बडे़ इलाके में होने वाली बूंदाबांदी और वर्षा को कारण माना जाता है। दिवाली के बाद एक बार फिर से पराली जलाने की घटनाओं में तेजी आई। 15 नवंबर को पंजाब में पराली जलाने की दो हजार 544 घटनाएं दर्ज की गई थीं।
रविवार यानी 19 नवंबर को भी पंजाब में 740 घटनाएं सामने आई हैं। दिल्ली की वायु गुणवत्ता पर पराली का असर भी साफ-साफ दिख रहा है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा तैयार डिसीजन सपोर्ट सिस्टम के मुताबिक 15 नवंबर को दिल्ली की हवा में पराली के धुएं की हिस्सेदारी 24 प्रतिशत तक रही थी। डिसीजन सपोर्ट सिस्टम का अनुमान है कि अब अगले कुछ दिनों में पराली की हिस्सेदारी कम होती जाएगी। पता हो कि इस सीजन में तीन नवंबर को दिल्ली की हवा में पराली के धुएं की सबसे ज्यादा हिस्सेदारी 35 प्रतिशत तक रही थी।
पंजाब – 35,093
हरियाणा – 2,123
उत्तर प्रदेश – 2,751
दिल्ली – 05
राजस्थान – 1,624
मध्य प्रदेश – 10,959