नई दिल्ली. आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जेल से छूटने ही वाले थे कि बड़ा खेल हो गया। केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी सीबीआई ने उन्हें भरी अदालत से गिरफ्तार कर तीन दिन का रिमांड ले लिया और अब लगातार उनसे पूछताछ कर रही है। इसके बाद सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ऐसी क्या इमरजेंसी थी कि सीबीआई ने आनन-फानन में उनकी गिरफ्तारी की?
सूत्रों के हवाले से जो खबर आ रही है वो चौंकाने वाली है. दरअसल मोदी सरकार किसी भी सूरत में केजरीवाल के प्रति नरमी के मूड में नहीं है। विपक्ष को बेशक यह लग रहा है कि भाजपा के 240 सीटों पर सिमटने के बाद पार्टी व गठबंधन कमजोर हो गया है लेकिन ऐसा नहीं है। भाजपा अगले साल के शुरू में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए अभी से तैयारियों में जुट गई है.
उसे लग रहा है कि यही वो मौका है जब आप का मनोबल तोड़कर दिल्ली की सत्ता पर कब्जा कर सकते हैं. अरविंद केजरीवाल जितना दिन जेल में रहेंगे आप उतनी हो कमजोर होगी. केजरीवाल के दो रणनीतिकार मनीष सिसोदिया और सतेंद्र जैन काफी समय से जेल में हैं। यदि केजरीवाल लंबा नपे तो उनकी पार्टी के लिए अपने आप को संभालना मुश्किल हो जाएगा।
सौरभ भारद्वाज और आतिशी तेज तर्रार हैं, संघर्ष कर रहे हैं लेकिन रणनीति के मामले में केजरीवाल के सामने कहीं नहीं टिकते। पानी और अपने नेता को जेल से बाहर निकालने के लिए आंदोलन करना तक तो ठीक है लेकिन चुनाव के लिए रणनीति बनाना और भाजपा, कांग्रेस को मात देना उनके बस की बात नहीं. बेशक आप इंडी गठबंधन में शामिल है लेकिन कांग्रेस और आप का गठबंधन टूट चुका है और दोनों ऐलान कर चुके हैं कि अब उनका रास्ता अलग अलग है.
केजरीवाल को कमजोर करने के मामले में कांग्रेस अंदरखाने भाजपा के साथ है. दिल्ली व पंजाब से लेकर गुजरात तक जहां जहां आप मजबूत हुई कांग्रेस कमजोर होती चली गई. कांग्रेस को लग रहा है कि आप उसके लिए खतरे की घंटी है लिहाजा मोदी सरकार उस पर अकुंश लगा रही है तो उसे ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं। केंद्र के साथ अधिकारों की लड़ाई में कांग्रेस बहुत दबाव में आप के साथ आई थी, अब उसकी कोई मजबूरी नहीं.
भाजपा को आप के साथ हिसाब बराबर करना है, 2014 में भाजपा केंद्र की सत्ता में आई 2015 में दिल्ली में चुनाव हुआ और उसके बाद 2020 में लेकिन सफलता उससे दूर रही. दिल्ली की हार से पार्टी की काफी किरकिरी हुई लिहाजा भाजपा की कोशिश होगी कि ज्यादा से ज्यादा समय केजरीवाल जेल में रहें ताकि आप कमजोर हो. फिलहाल केजरीवाल जेल से सरकार चला रहे हैं लेकिन लंबे समय तक ऐसा करना उनके लिए संभव नहीं होगा.
जिस तरह से मनीष सिसोदिया और सतेंद्र जैन को पद छोड़ना पड़ा वैसे ही केजरीवाल को भी करना पड़ेगा. बेशक आप कुछ भी दावा करे लेकिन आप का संगठन एक आदमी के इर्द गिर्द घूमता है जिसके केंद्र में केजरीवाल रहते हैं, उनके इशारे पर किसी नेता का कद बढ़ता-घटता है. जिस तरह से पीएम मोदी की छवि नायक की है उसी तरह से आप के लिए अरविंद केजरीवाल हैं. दिल्ली में धारणा बन गई है कि लोकसभा में भाजपा और विधानसभा में आप लिहाजा भाजपा की भरपूर कोशिश होगी कि इस धारणा को तोड़कर दिल्ली की सत्ता कब्जा ली जाए.
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