नई दिल्लीः ऑनलाइन दवाओं की ब्रिकी को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने सख्त तेवर अपना लिए है। न्यायालय ने आदेश जारी करते हुए केंद्र सरकार से कहा है कि आठ सप्ताह के भीतर दवाओं की ऑनलाइन तरीके से ब्रिक्री के संबंध में एक नीति तैयार करें। साथ ही कोर्ट ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि मामला पांच साल से अदालत में लंबित है। केंद्र सरकार को नीति लाने के लिए आखिरी मौका दिया जा रहा है। साथ ही अदालत ने कहा कि अगर आदेश का अनुपालन नहीं किया गया तो संबंधित संयुक्त सचिव की अगली तारीख को अदालात में व्यक्तिगत रुप से पेश होना पड़ेगा।
अदालत ने ऑनलाइन दवाओं की अवैध बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी किया। याचिकाओं में दवाओं एवं प्रसाधन सामग्री नियमों में और संशोधन करने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा प्रकाशित मसौदा कानूनों को भी चुनौती दी गई है।
दिसंबर 2018 में, हाई कोर्ट ने दवाओं की ऑनलाइन बिक्री पर रोक लगाने का आदेश पारित किया था क्योंकि ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स अधिनियम, 1940 और फार्मेसी अधिनियम, 1948 के तहत इसकी अनुमति नहीं है।
दिल्ली हाई कोर्ट में भी एक अवमानना याचिका दायर की गई है, जिसमें दवाओं की ऑनलाइन बिक्री जारी रखने के लिए ई-फार्मेसी कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है। अदालत के आदेशों के बावजूद दोषी ई-फार्मेसी कंपनी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने के लिए केंद्र सरकार के खिलाफ भी कार्रवाई करने की मांग की गई है।
ई-फार्मेसी कंपनी ने न्यायालय को बताया है कि उन्हें दवाओं और प्रिस्क्रिप्शन दवाओं की ऑनलाइन बिक्री के लिए लाइसेंस की जरुरत नहीं है क्योंकि वे केवल दवाओं की डिलीवरी कर रहे हैं जैसे कि भोजन स्विगी जैसे खाद्य वितरण ऐप के द्वारा वितरित किया जाता है।
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