नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी प्रशासन के एक पूर्व स्टूडेंट की तरफ से दाखिल याचिका को गंभीरता से लिया है। पूर्व छात्र ने याचिका के जरिए जामिया मिल्लिया इस्लामिया की अहम जमीन की बिक्री के लिए नियमों की अनदेखी कर तीसरी पार्टी जकिया जहीर को NOC देने के निर्णय को […]
नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी प्रशासन के एक पूर्व स्टूडेंट की तरफ से दाखिल याचिका को गंभीरता से लिया है। पूर्व छात्र ने याचिका के जरिए जामिया मिल्लिया इस्लामिया की अहम जमीन की बिक्री के लिए नियमों की अनदेखी कर तीसरी पार्टी जकिया जहीर को NOC देने के निर्णय को चुनौती दी है। जिसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने जेएमआई प्रशासन को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने प्रशासन से कहा कि नियमों को ताक पर रखककर एनओसी जारी क्यों की गई, इसका विस्तार से जवाब दें।
हाई कोर्ट ने यूनिवर्सिटी प्रशासन से पूछा है कि थर्ड पार्टी जकिया जहीर को अहम जमीन बिक्री के लिए एनओसी देने का निर्णय क्यों लिया गया। कुछ वक्त पहले तक जामिया के रजिस्ट्रार रहे नजीम हुसैन अल जाफरी ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। उन्होंने कहा कि रजिस्ट्रार द्वारा एनओसी देने से मना करने के बाद भी तीसरी पार्टी को एनओसी जारी करने का निर्णय जामिया प्रशासन ने लिया।
याचिकाकर्ता हरीसुल हक जो जामिया मिडिल स्कूल में शारीरिक शिक्षा अध्यापक के रूप में कार्यरत हैं और जामिया स्कूल टीचर्स संगठन के निवर्तमान सचिव हैं, का आरोप है कि यूनिवर्सिटी उचित कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किए बगैर ही भूमि की बिक्री के लिए एनओसी जारी करने की कोशिश कर रहा है। उनका यह भी दावा है कि यह कार्रवाई मनमाने और अवैध तरीके से की जा रही है, जिसका फायदा तीसरी पार्टी के लोग ले रहे हैं।
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