नई दिल्ली। दिल्ली दंगों के मामले में साजिश के आरोप में आरोपित उमर खालिद की जमानत याचिका पर आज सुनवाई हुई. दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि खालिद द्वारा महाराष्ट्र के अमरावती में दिया गया भाषण आपत्तिजनक था और प्रथम दृष्टया यह स्वीकार्य नहीं है. न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ ने कहा कि भाषण आपत्तिजनक और अप्रिय है.
क्या आपको नहीं लगता कि इस्तेमाल किए गए ये भाव लोगों के लिए अपमानजनक हैं. यह लगभग ऐसा है जैसे भारत का स्वतंत्रता संग्राम केवल एक समुदाय द्वारा लड़ा गया था.
पीठ ने सवाल उठाया कि क्या गांधीजी या शहीद भगत सिंहजी ने कभी इस भाषा का इस्तेमाल किया था?
हमें अभिव्यक्ति की आजादी देने में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन आप क्या कह रहे हैं?
बता दें कि पीठ ने यह टिप्पणी तब की जब खालिद की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता त्रिदीप पेस ने अदालत के समक्ष खालिद के भाषण का एक हिस्सा पढ़ा.
जब पीठ ने पूछा कि खालिद के खिलाफ क्या आरोप है. जवाब में खालिद की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता त्रिदीप पेस ने दलील दी कि खालिद पर साजिश का आरोप लगाया गया था, लेकिन वह शहर में मौजूद नहीं था
पीठ ने उक्त मौखिक टिप्पणी करते हुए खालिद की जमानत याचिका पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया और तीन दिन में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. याचिका पर अगली सुनवाई 27 अप्रैल को होगी.
19 महीने से जेल में बंद उमर खालिद ने 24 मार्च को जमानत खारिज करने के कड़कड़डूमा कोर्ट के फैसले को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी है. खालिद को फरवरी-2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के मामले में 13 सितंबर 2020 को गिरफ्तार किया गया था और तब से वह हिरासत में है.
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