आखिर नई आबकारी नीति को लेकर केजरीवाल सरकार के पीछे क्यों पड़ी है CBI ?

नई दिल्ली, दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के घर सीबीआई की टीम पहुँच गई है, माना जा रहा है कि सीबीआई की ये कार्रवाई दिल्ली सरकार की आबकारी नीति को लेकर है. दरअसल, पिछले दिनों दिल्ली के उपराज्यपाल विनय सक्सेना ने आबकारी नीति को लेकर सीबीआई जांच की सिफारिश की थी. एलजी वीके सक्सेना […]

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आखिर नई आबकारी नीति को लेकर केजरीवाल सरकार के पीछे क्यों पड़ी है CBI ?

Aanchal Pandey

  • August 19, 2022 10:06 am Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली, दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के घर सीबीआई की टीम पहुँच गई है, माना जा रहा है कि सीबीआई की ये कार्रवाई दिल्ली सरकार की आबकारी नीति को लेकर है. दरअसल, पिछले दिनों दिल्ली के उपराज्यपाल विनय सक्सेना ने आबकारी नीति को लेकर सीबीआई जांच की सिफारिश की थी. एलजी वीके सक्सेना ने मुख्य सचिव की रिपोर्ट के बाद यह कदम उठाया था, इस रिपोर्ट में मनीष सिसोदिया की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए थे. दरअसल, दिल्ली का एक्साइज विभाग मनीष सिसोदिया के अधीन हैं, ऐसे में सिसोदिया पर गंभीर सवाल उठ रहे थें. ऐसे में, आइए समझते हैं कि आखिर नई आबकारी नीति को लेकर केजरीवाल सरकार को क्यों घेरा जा रहा है:

नवंबर 2021 में लागू की नई शराब नीति

साल 2020 में दिल्ली सरकार ने नई शराब नीति लाने की बात कही थी, मई 2020 में दिल्ली सरकार विधानसभा में नई शराब नीति लेकर आई थी, जिसे नवंबर 2021 यानी कोरोना काल के दौरान लागू किया गया था. सरकार ने नई शराब नीति को लागू करने के पीछे 4 प्रमुख तर्क दिए थे…

  • दिल्ली में शराब माफिया और कालाबाज़ारी खत्म होगी.
  • दिल्ली सरकार का राजस्व बढ़ेगा.
  • शराब खरीदने वाले लोगों की शिकायतें दूर होंगी.
  • हर वार्ड में शराब की दुकानों का सामान वितरण होगा.

केजरीवाल सरकार ने नई आबकारी नीति में लाइसेंसधारियों को MRP प्राइस पर शराब बेचने की बजाय अपनी कीमतें तय करने की छूट दी थी. इसके बाद दुकानदारों ने शराब पर जमकर छूट देनी शुरू कर दी, जिससे दूकान के बाहर शराब के लिए लंबी-लंबी कतारे लगने लगीं. हालांकि, विपक्ष ने इसका कड़ा विरोध किया, जिसके बाद दिल्ली आबकारी विभाग ने कुछ समय के लिए इस छूट को वापस भी ले लिया था.

जांच रिपोर्ट में चार कानून तोड़ने का आरोप

दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति को लेकर मुख्य सचिव नरेश कुमार ने जांच कर एक रिपोर्ट तैयार की थी, इस रिपोर्ट में कहा गया कि शराब नीति को लागू करने से पहले प्रस्तावित नीति को कैबिनेट के समक्ष पेश करना होता है, इसके बाद कैबिनेट से पास इस प्रस्ताव को मंजूरी के लिए उपराज्यपाल को भेजना होता है, लेकिन, नई आबकारी नीति के सन्दर्भ में इस प्रोसेस को नहीं अपनाया गया है.

रिपोर्ट में 4 नियमों को तोड़ने के आरोप लगे हैं:

1. GNCTD अधिनियम (1991)

2. व्यापार नियमों के लेनदेन (TOBR)-1993

3. दिल्ली उत्पाद शुल्क अधिनियम-2009

4. दिल्ली उत्पाद शुल्क नियम-2010

नई एक्साइज ड्यूटी क्यों है सवालों के घेरों में

नई एक्साइज ड्यूटी में गड़बड़ी के आरोप हैं, आरोप है कि नई आबकारी नीति के जरिए शराब लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया. एलजी ऑफिस की ओर से दी गई जानकारी में कहा गया था, ”जब प्रवासी कमाई बंद होने की वजह से शहर छोड़ रहे थे, जब स्ट्रीट वेंडर्स के सामने आजीविका का संकट था, उस मुश्किल घड़ी में ढाबा, रेस्त्रां, होटल, जिम, स्कूल और दूसरे कारोबार बंद हो रहे थे. तब मनीष सिसोदिया के तहत आने वाले एक्साइज डिपार्टमेंट ने कोरोना महामारी के नाम पर लाइसेंस फीस के तौर पर 144.36 करोड़ रुपए की छूट दी गई.” रिपोर्ट में आगे लिखा गया है, ‘कारोबारियों, नौकरशाहों और दिल्ली के उपमुख्यमंत्री के बीच गठजोड़ था. शराब लाइसेंसधारियों को फायदा पहुंचाने के लिए तय प्रक्रिया और नियमों का खुलेआम उल्लंघन किया गया.’

 

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