नई दिल्ली. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शराब घोटाले में जमानत मिल गई और आम आदमी की बांछें खिल गई. केजरीवाल की रिहाई भी हो गई और बाहर निकलते ही उन्होंने मोदी सरकार को ललकार भी दिया कि जेल की दीवारें उनके हौसले को नहीं तोड़ पाई.
केजरीवाल सिर्फ नेता रह जाएंगे
हरियाणा में चल रही चुनावी प्रक्रिया के बीच अरविंद केजरीवाल की रिहाई से निश्चित रूप से आम आदमी पार्टी को ऑक्सीजन मिलेगा. अगले साल दिल्ली में भी चुनाव है लिहाजा दिल्ली भी चुनावी मॉड में आने वाला है. केजरीवाल कि रिहाई से पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश बढ़ेगा लेकिन अभी भी केजरीवाल और उनकी सरकार पर खतरा बना हुआ है.
आप जहां जश्न मना रही है वहीं भाजपा उन्हें जमानत वाला सीएम करार दे रही है और यह दबाव बना रही है कि जैसे जे जयललिता और हेमंत सोरेन ने इस्तीफा दिया था वैसे ही अरविंद केजरीवाल इस्तीफा दें. पार्टी का प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति से मिलकर पहले ही दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर चुका है.
जमानत वाले सीएम
अरविंद केजरीवाल के लिए सबसे बड़ी दिक्कत की बात यह है कि वह जमानत वाले सीएम के साथ साथ चार्जशीटेड मुख्यमंत्री हैं. राजनीति का कीचड़ साफ करने के लिए वह राजनीति में आये थे और उसी कीचड़ में धंसते चले गये. अंदाजा लगाइये कि नैतिकता का पाठ पढ़ाने वाला सीएम न तो ऑफिस जा पाएगा और न ही सचिवालय.
किसी आदेश पर हस्ताक्षर भी नहीं करेगा यानी सिर्फ नाम का मुख्यमंत्री रहेगा. ऐसे में भाजपा भला उन्हें कैसे बख्श देगी. कांग्रेस बेशक इंडिया में शामिल होने के कारण सीधे वार न करे लेकिन भाजपा उन्हें घेरेगी तो वह विरोध भी नहीं कर पाएगी.
ऐसा सीएम जिसकी कोई नहीं सुनेगा
एक तरह से अजीबोगरीब स्थिति पैदा हो गई है. सीएम होते हुए भी वह सीएम नहीं रहेंगे. फर्ज कीजिए कि वह मनीष सिसोदिया को फिर से डिप्टी सीएम बनाने के लिए सिफारिश करें और एलजी उसे मानने से इनकार कर दें. अरविंद केजरीवाल को जिन शर्तों पर जमानत मिली है उससे वह राजनेता बनकर रह जाएंगे, सीएम नहीं.
राजनीतिक दल देंगे ताना
भविष्य में राजनीतिक पार्टियां सुविधानुसार व्यंग्य करेंगी कि ऐसे सीएम का नाम बताओ जो पद पर तो था लेकिन उसे अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करने का अधिकार नहीं था. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या लोगों की सहानुभूति पाने और वोट बैंक को मजबूत करने के लिए अरविंद केजरीवाल अपने पद से इस्तीफा देंगे? यदि वो ऐसा नहीं करते हैं तो भाजपा आरोपों की बौछार करेगी और राष्ट्रपति शासन के लिए दबाव बनाएगी.