Delhi Anti CAA Protest Violence: मस्जिद के मौलवी और मंदिर के पंडित निकलकर क्यों समाज को नहीं देते शांति और भाईचारे की सीख?

नई दिल्ली. दिल्ली में सीएए समर्थक और विरोधी भिड़ गए. जमकर पत्थरबाजी भी हुई. एक युवक तो पिस्टल लेकर सड़क पर कूद गया और 8 राउंड गोलियां भी चलाईं. हिंसा में एक हेड कॉन्सटेबल की मौत हो गई. 8 आम नागरिक भी अपनी जान गंवा बैठे. किसी कानून के समर्थन और विरोध में होने वाले इस झगड़े ने धार्मिक रूप ले लिया.

अब हालात बेकाबू है, इतनी बेकाबू की सड़कों पर निकलने से पहले भी देश की राजधानी में लोग डर रहे हैं. क्या इस लड़ाई का अंत नहीं होगा, क्या ऐसे ही धर्म के चक्कर में बेगुनाह पुलिसर्मी और लोग अपनी जान गवाएंगे.

आखिर नेता, पुलिस या प्रशासन इस आग को शांत करने के लिए दोनों धर्म के गुरुओं को क्यों नहीं आगे ला रहे हैं. या शांति की बात करने वाले आम नागरिक उन्हें मंदिर- मस्जिद से बाहर क्यों नहीं ला रही है. हो सकता है धर्म के नाम पर लड़ने वाले लोग अपने पंडित या मौलाना की बात को समझ जाए. क्योंकि चाहे धर्म कोई भी हो, हिंसा हर किसी में गलत बताई गई है.

आग में झुलसी दिल्ली में पुलिस की लाठीचार्ज हिंसा को रोकने के लिए काफी है?

पूरी दिल्ली आग में झुलसी है. सीएए विरोधियों का प्रदर्शन शाहीन बाग से शुरू होकर दिल्ली के कई इलाकों में हो गया. जाफराबाद, सीलमपुर, खजूरी, भजनपुरा, मौजपूर समेत कई इलाकों में सीएए विरोधी प्रदर्शन शुरू हुए. प्रदर्शनकारियों ने सड़कें जाम की. सीएए समर्थकों ने इसका विरोध किया और वे भी सड़कों पर उतर गए.

हालात तनावपूर्ण बनते चले गए. पुलिस बीच-बीच मौका पाकर लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले छोड़ती हुई नजर भी आई लेकिन आग पूरी तरह शांत नहीं हुई. दोनों समुदायों के असमाजिक तत्वों को पुलिस, कानून किसी का भी कोई खौफ नहीं नजर आया. एक दूसरे के घरों में घुसकर मारपीट की. सड़कों पर खड़े वाहनों को आग लगा दी गई.

पुलिस की गाड़ियां फूंक दी गई. बार- बार लोगों से शांति की अपील की गई लेकिन किसी ने कोई बात नहीं मानी. पुलिस अब भी आधी से ज्यादा दिल्ली को छावनी बना चुकी है लेकिन हालात पूरी तरह काबू नहीं है. अब सवाल भी यही है कि क्या पुलिस फोर्स, ऐसे दंगों को रोकने के लिए काफी है.

हिंदू इलाकों में पंड़ितों और मुस्लिम इलाकों में मौलवियों को शांतिदूत बनाकर भेजें

जब दोनों समुदाय धर्म के लिए हिंसा पर उतारू हैं तो क्यों नहीं हिंदू इलाकों में पंडितों और मुस्लिम इलाकों में मौलवियों को शांतिदूत बनाकर भेजा जाए. केंद्र या राज्य सरकार इस बात पर चर्चा क्यों नहीं कर रही. शायद हो सकता है कि अपने धर्म के सम्मानित व्यक्ति की शर्म थोड़ी सी लोगों में इंसानियत जगा दे.

अगर पंडित और मौलवी मिलकर शांति मार्च निकालें तो कितनी सुंदर और शांति की तस्वीर दिल्लीवासियों के सामने बनेगी. और वक्त को देखते हुए इसकी जरूरत भी नजर आती है.

Amit Shah Meeting on Delhi Violence: दिल्ली हिंसा पर गृहमंत्री अमित शाह की बैठक, CM अरविंद केजरीवाल, उप राज्यपाल, मनोज तिवारी, सुभाष चौपड़ा रहे मौजूद

Delhi Police Constable Death in Anti CAA Protest: दिल्ली के मौजपुर में सीएए को लेकर हुई हिंसा में हेड कॉन्सटेबल की मौत, हालात तनावपूर्ण, सुरक्षाबल तैनात

Aanchal Pandey

Recent Posts

डेली 3000 हिंदुओं का धर्म परिवर्तन कराया गया इस चर्च में, अब चलेगा बुलडोजर, जानें वजह

कैल्वरी टेंपल चर्च एशिया के सबसे बड़े चर्चों में से एक है, जिसके सदस्यों की…

26 minutes ago

इटली की PM मेलोनी के साथ दोस्ती पर प्रधानमंत्री मोदी ने तोड़ी चुप्पी, कहा- वो सब तो…

पीएम मोदी ने अपने पहले पॉडकास्ट में इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी के साथ अपनी…

31 minutes ago

ECIL में मैनेजर के 12 पदों पर भर्ती, जल्द करें आवेदन

इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL) ने मैनेजर के विभिन्न पदों पर भर्ती के लिए…

55 minutes ago

नहीं मिल रहा माझी लाडकी बहिन योजना का लाभ, विपक्ष ने घेरा, शिंदे ने किया पलटवार

महाराष्ट्र सरकार की 'माझीलाडकीबहिन योजना' अब विवादों में आ गई है. सरकार इसमें अनियमितता को…

1 hour ago

8 साल की बच्ची को आया कार्डियक अरेस्ट, मौके पर हुई मौत, जानें वजह

8 साल की बच्ची को आया कार्डिएक अरेस्ट। स्टाफ ने 108 एंबुलेंस को फोन किया,…

1 hour ago

कुमार विश्वास के मां-बाप मेरे आगे हाथ जुड़ते हैं, बाबा रामदेव ने कसा तंज, कह दी ये बात

योग गुरु बाबा रामदेव ने कवि कुमार विश्वास के बयान पर तीखा पलटवार किया है.…

2 hours ago