नई दिल्लीः राजधानी दिल्ली के एम्स में पहली बार त्वचा दान हुआ। दिल्ली के जैतपुर की रहने वाली 42 वर्षीय महिला की मृतयू के बाद उसके शरीर को पोस्टमार्टम हुआ और फिर परिजनों को स्किन दान के महत्व के बारें में समझाने के बाद वे त्वचा दान के लिए तैयार हुए। एम्स के बर्न एवं […]
नई दिल्लीः राजधानी दिल्ली के एम्स में पहली बार त्वचा दान हुआ। दिल्ली के जैतपुर की रहने वाली 42 वर्षीय महिला की मृतयू के बाद उसके शरीर को पोस्टमार्टम हुआ और फिर परिजनों को स्किन दान के महत्व के बारें में समझाने के बाद वे त्वचा दान के लिए तैयार हुए। एम्स के बर्न एवं प्लास्टिक सर्जरी पहली विभाग के प्रमुख मनीष सिंघल ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया की महिला के दोनो जांघ का हिस्सा लिया गया है और उसे त्वाचा बैंक में सुरक्षित रखा गया है। इस स्किन का इस्तेमाल जले हुए ऐसे मरीजों या हादसों में घायल मरीजों को प्रत्यारोपित करने के लिए किया जाएगा जिनकी त्वाचा या तो जल गई है या हादसे में जिसका नुकसान हो गया है।
डॉक्टर मनीष ने बताया कैसे कि जाती है स्किन का इस्तेमाल
डॉक्टर मनीष सिंघल ने कहा कि कि मृतक व्यक्ति के दोनों जांघ से त्वचा ली जाती है। दान में मिली स्किन की सबसे पहले प्रोसेसिंग की जाती है। इस प्रक्रिया में करीब एक सप्ताह समय लगता है। इसके बाद से चार से पांच साल तक सुरक्षित रखा जा सकता है। स्किन प्रत्यारोपण के लिए डोनर व मरीज के ब्लड ग्रुप या एचएलए का मिलान करने की जरूरत नहीं पड़ती। किसी भी व्यक्ति की स्किन को किसी भी व्यक्ति को लगाई जा सकती है। उन्होंने बताया कि 30 से 40 फिसदी तक जले हुए मरीज को उसके शरीर के ही किसी हिस्से से त्वचा निकाल कर जख्म पर लगा दी जाती है। 40 फिसदी से अधिक जल चुके मरीजों के लिए त्वचा मिलना मुश्किल होता है। देश में हर वर्ष करीब 70 लाख लोग बर्न से पीड़ित होते। हैं, जिसमें से डेढ़ लाख मरीजों की मौत हो जाती है। इसका कारण संक्रमण होता है।
त्वचा झुलसने के एक से तीन सप्ताह के बीच संक्रमण होने की आशंका रहती है। इस दौरान शरीर के जले हुए हिस्से को ढका नहीं गया तो संक्रमण होना तय है। ऐसे में मरीज को त्वचा लगाने की जरूरत होती है।
सफदरजंग अस्पताल के त्वचा बैंक में अभी त्वचा दान नहीं हो पाया है। डॉक्टरों के मुताबिक एम्स के पास त्वचा दान की बेहतर योजना है। एक तो बर्न व प्लास्टिक सर्जरी ब्लाक में रोटरी क्लब के साथ मिलकर यह त्वचा बैंक शुरू किया है, जो त्वचा दान में भी मदद करेगा।
बर्न व प्लास्टिक सर्जरी ब्लाक के प्रमुख डॉ. मनीष सिंघल ने कहा कि वैसे तो किसी भी मृत व्यक्ति की त्वचा दान हो सकती है, लेकिन 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की त्वचा नहीं ली जाती है। 80 से अधिक उम्र के लोगों की त्वचा पतली हो जाती है। इस वजह से 80 वर्ष तक की उम्र के मृत व्यक्तियों की मौत के छह घंटे के अंदर त्वचा दान हो सकता है। एचआइवी, हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी, त्वचा कैंसर, किसी प्रकार के गंभीर संक्रमण से पीड़ित व्यक्ति की त्वचा दान नहीं की जा सकती है।