DeepFake: डीपफेक को लेकर टेक कंपनियों के साथ सरकार की बैठक खत्म, 10 दिन के अंदर आएगा नया कानून

नई दिल्लीः डीपफेक को लेकर अब सरकार सख्त हो गई है। इस मुद्दे को लेकर सोशल मीडिया कंपनियों के साथ मिटिंग खत्म होने के बाद केंद्रीय संचार मंत्री और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि हम सभी इस बात पर सहमत हुए है कि अगले 10 दिनों के भीतर डीपफेक के खिलाफ स्पष्ट और […]

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DeepFake: डीपफेक को लेकर टेक कंपनियों के साथ सरकार की बैठक खत्म, 10 दिन के अंदर आएगा नया कानून

Sachin Kumar

  • November 23, 2023 4:09 pm Asia/KolkataIST, Updated 12 months ago

नई दिल्लीः डीपफेक को लेकर अब सरकार सख्त हो गई है। इस मुद्दे को लेकर सोशल मीडिया कंपनियों के साथ मिटिंग खत्म होने के बाद केंद्रीय संचार मंत्री और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि हम सभी इस बात पर सहमत हुए है कि अगले 10 दिनों के भीतर डीपफेक के खिलाफ स्पष्ट और कार्रवाई योग्य कानून लेकर आएंगे। सभी टेक कंपनियों ने हामी भरी कि डीपफेक को फ्री स्पीच के तहत नहीं रखा जा सकता है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और अन्य टेक कंपनियों ने कहा है कि डीपफेक कुछ ऐसा है जो वास्तव में समाज के लिए नुकसानदायक है। आज से रेगुलेट करने के लिए मसौदा तैयार करना शुरू कर दिया जाएगा। बहुत ही कम समय में डीपफेक को लेकर नया नियम जनता के सामने हाजिर होगा।

अश्विनी वैष्णव ने जारी किया बयान

केंद्रीय आईटी मंत्री ने कहा कि डीपफेक लोकतंत्र के लिए नया खतरा बनकर सामने आया है। उन्होंने कहा कि हमारी अगली बैठक दिसंबर के पहले सप्ताह में होगी जो आज के फैसलों पर आधारित होगी। साथ ही उन्होंने कहा कि अगली बैठक में यह तय होगा कि डीपफेक को रेगुलेट करने वाले नियमों में क्या शामिल किया जाना चाहिए। जानकारी दें दे कि पिछले कुछ दिनों में कई सारे वीडियोज वायरल हो रहा है। जिसमें सचिन तेंदुलकर की बेटी और साउथ की एक्ट्रेस मंदाना का नाम भी शामिल है। इसके अलावा पीएम नरेंद्र मोदी का भी एक डीपफेक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें उन्हें गरवा करते् हुए दिखाया गया था।

डीपफेक के बारे में जानिए

डीपफेक फोटोज और वीडियो दोनों रूप में हो सकता है। इसे एक विशेष मशीन लर्निंग का इस्तेमाल करके बनाया जाता है जिसे डीप लर्निंग कहा जाता है। डीप लर्निंग में कंप्यूटर को दो वीडियोज या फोटो दिए जाते हैं जिन्हें देखकर वह खुद ही दोनों वीडियो या फोटो को एक ही जैसा बना देता है। यह ठीक उसी तरह है जैसे बच्चे किसी चीज की नकल करता है। बता दें कि इस तरह के फोटो वीडियोज में हिडेन लेयर्स होते हैं जिन्हें सिर्फ एडिटिंग सॉफ्टवेयर से ही देखा जाता है। एक लाइन में कहें तो डीपफेक, असली इमेज या वीडियोज को बेहतर रियल फेक फोटो या वीडियोज में बदलने की एक प्रक्रिया है। बता दें कि डीपफेक फोटो-वीडियोज फेक होते हुए भी रियल नजर आते हैं।

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