जोशीमठ दरारों पर छिड़ी बहस… विकास और विनाश पर साधु संतों ने जताई चिंता

जोशीमठ: उत्तराखंड के जोशीमठ की दीवारें दरक रहीं हैं और पूरा शहर जमीन में धंस रहा है. आलम ये है कि वहाँ घरों की दीवारों को चीरकर पानी बह रहा है. बदरीनाथ धाम से महज 50 किलोमीटर दूर स्थित जोशीमठ से कई ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं जो पूरे देश को हैरान कर रही हैं. लैंडस्लाइड और दरकती दीवारों की वजह से कई इलाकों में लोग दहशत में जी रहे हैं. घरों की दरारें पूरी नींद लेने नहीं दे रही हैं. लोग घर छोड़कर पलायन कर रहे हैं.

विकास और विनाश पर बहस

उत्तराखंड के जोशीमठ में घरों में ऐसे दरारें कैसे पड़ने लगी? केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक ने इस पर चिंता जताई है. आपको बता दें, केदारनाथ आपदा 2013 में हुई थी। उस दौरान इस बात पर भी काफी बहस हुई थी कि पहाड़ इतने कटे क्यों हैं। कई लोगों का यह भी मानना ​​था कि यह कोई दैवीय आपदा थी। केदारनाथ आपदा में 4,700 तीर्थयात्रियों के शव बरामद किए गए, जबकि 5,000 से अधिक लापता हैं। तब भी विकास को ही दोषी ठहराया था। स्थानीय लोगों का कहना था कि विकास होना चाहिए, लेकिन ऐसे विकास का क्या फायदा अगर यह विनाश लेकर आए?

 

आपने पहले ध्यान क्यों नहीं दिया?

देवभूमि में रहने वाले संतों ने कहा कि यह बात बहुत पहले से कही जाती रही है। अब जो नतीजा है, वह सब के आगे हैं। उन्होंने कहा कि यह एक बड़ी चिंता है. इन्हीं पर एक साधु ने कहा कि ‘एक साल से धरती धंस रही है। उन्होंने उस समय ध्यान नहीं दिया। अभी ही क्यों एहसास हुआ है। वहां रहने वाले सभी लोगों के लिए इसकी भरपाई कैसे होगी? तत्काल प्रबंध की आवश्यकता है।

CM राहत कोष से दी जाएगी मदद

कांग्रेस नेता प्रीतम सिंह ने भी स्थिति का जायजा लेने के लिए जोशीमठ के लिए रवाना हो चुके हैं. प्रीतम सिंह पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व नेता प्रतिपक्ष थे। प्रीतम सिंह जोशीमठ में हो रहे भूस्खलन का निरीक्षण करेंगे। प्रभावित परिवारों से भी मिलेंगे। चमोली जिला सरकार ने कहा कि जिन परिवारों के घर क्षतिग्रस्त हो गए हैं और रहने योग्य नहीं हैं या बेघर हुए उन, परिवारों को CM राहत कोष से आर्थिक मदद दी जाएगी। अगले 6 महीने के लिए 4000 रुपये प्रति परिवार दिया जाएगा। वहीं सीएम पुष्कर सिंह धामी ने भी कहा था कि लोगों की जान बचाना हमारी पहली प्राथमिकता है.

 

तमाम निर्माण कार्यो पर रोक

 

वहीं इस पूरे मामले में डीएम हिमांशु खुराना का कहना है कि स्थानीय लोग एनपीसी जलविद्युत परियोजना के खिलाफ हैं. उनका दावा है कि इस प्रोजेक्ट के तहत बनी सुरंगों से पानी घरों तक पहुंचा और जमीन धंस गई। इन आरोपों की जांच के लिए सर्वे लेने का प्रयास शुरू कर दिया गया है। लेकिन इससे पहले पनबिजली परियोजनाओं (हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट ) सहित अन्य सभी प्रकार के निर्माण कार्यों पर प्रभावी रूप से रोक लगा दी गई थी. उन्होंने कहा कि वर्तमान में जिले में कहीं भी निर्माण कार्य नहीं हो रहा है। ऐसे में शनिवार को जब सीएम वहां का दौरा करने पहुंचे तो स्थानीय लोगों ने शिकायत की. इसके बाद मुख्यमंत्री ने स्थिति पर नाराज़गी जताई।

 

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