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एक कांस्टेबल का बेटा…मुंबई की स्लम से डी कंपनी का मुखिया बनने की पूरी कहानी

नई दिल्ली। अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम को जहर दिए जाने की खबर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है। ऐसा दावा किया जा रहा है कि उसको कराची में जहर दिया गया है। पाकिस्तानी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही रिपोर्ट्स के अनुसार हालत गंभीर होने के कारण उसे अस्पताल में भर्ती कराया […]

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एक कांस्टेबल का बेटा…मुंबई की स्लम से डी कंपनी का मुखिया बनने की पूरी कहानी
  • December 18, 2023 9:00 am Asia/KolkataIST, Updated 1 year ago

नई दिल्ली। अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम को जहर दिए जाने की खबर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है। ऐसा दावा किया जा रहा है कि उसको कराची में जहर दिया गया है। पाकिस्तानी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही रिपोर्ट्स के अनुसार हालत गंभीर होने के कारण उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है। हालांकि दाऊद को जहर दिए जाने की खबरों की किसी भी रिपोर्ट में पुष्टि नहीं हुई है। इन दावों के बाद दाउद एक बार फिर खबरों में है। आइए आपको बताते हैं कि एक कांस्टेबल का बेटा कैसे बना अंडरवर्ल्ड का इतना बड़ा डॉन।

कैसे डी कंपनी का मुखिया बना दाऊद?

1955: सीएनबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दाऊद इब्राहिम का मुंबई में जन्म हुआ और मुंबई के स्लम एरिया में वह बड़ा हुआ। आपको यह जानकार हैरानी होगी कि उसके पिता एक पुलिस कांस्टेबल थे और दाऊद कम उम्र में ही चोरी, डकैती आदि में सम्मिलित हो गया था।

1974: जब दाऊद 19 वर्ष का था, तब ही उसने गैंगस्टर की दुनिया में पहला कदम रख लिया था। 19 साल की उम्र में दाऊद हाजी मस्तान (उस समय मुंबई का सबसे बड़ा डॉन) का करीबी सहयोगी बन गया था। लेकिन, मुंबई पुलिस ने मस्तान का शासन खत्म करने के लिए दाऊद का सहारा लिया और दाऊद को मस्तान से लड़ने के लिए कहा। वहीं, दाऊद ने भी मस्तान की कुर्सी हासिल करने के लिए उससे सीधा मुकाबला किया।

1981: इस समय तक दाऊद के कई दुश्मन भी बन गए थे और कहा जाता है कि एक बार गैस स्टेशन पर तीन हत्यारों ने दाऊद और शब्बीर को घेर लिया। जहां शब्बीर मारा गया और दाऊद फरार हो गया।

1984: दाऊद और भी खतरनाक हो गया और तीन वर्ष की अवधि में दाऊद ने अपने भाई की हत्या में शामिल सभी तीनों हत्यारों को मार डाला। जबकि मुंबई पुलिस ने दाऊद को मस्तान के खिलाफ खड़ा कर दिया था और हिंसा के मामले इतने अधिक बढ़ गए कि पुलिस के लिए संभालना मुश्किल हो गया, इसके बाद 1984 में दाऊद पर हत्या का आरोप लगा।

ऐसा कहा जाता है कि बाद में, वो दुबई भाग गया, जहां वह ‘व्हाइट हाउस’ नामक एक बंगले में रहता था। साथ ही दाऊद ने क्राइम के बड़े मास्टरमाइंड को अपने घर में बुलाया और छोटा राजन को अपनी ‘डी कंपनी’ संभालने के लिए कहा।

1991: जैसे ही भारत ने विदेशी मुल्कों के लिए अपना बाजार खोला तो कालाबाजारी का जमाना पुराना हो गया। धीरे-धीरे, मुंबई में दाऊद की खेप वाले जहाजों की संख्या भी कम हो गई। ऐसा कहा जाता है कि उसी साल पुलिस और डी कंपनी के मेंबर्स में भारी गोलाबारी हुई थी। इसके बाद दाऊद कभी भी सामने नहीं आया।

2008: साल 2008 में दाऊद इब्राहिम को भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा ग्लोबल टेरेरिस्ट घोषित किया गया था।

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