नई दिल्ली। देश आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 126वीं जयंती मना रहा है। इस मौके पर राष्ट्रपति मुर्मू, प्रधानमंत्री मोदी समेत कई बड़े नेताओं ने उन्हें नमन किया है। भारत की आजादी की लड़ाई को नई उर्जा देने वाले नेताजी को उनकी बेटी अनीता बोस फाफ ने भी उन्हें याद किया है। अनीता ने […]
नई दिल्ली। देश आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 126वीं जयंती मना रहा है। इस मौके पर राष्ट्रपति मुर्मू, प्रधानमंत्री मोदी समेत कई बड़े नेताओं ने उन्हें नमन किया है। भारत की आजादी की लड़ाई को नई उर्जा देने वाले नेताजी को उनकी बेटी अनीता बोस फाफ ने भी उन्हें याद किया है। अनीता ने कहा कि जो लोग भी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रशंसा करते हैं, वह अपने राजनीतिक और व्यक्तिगत कामों में उनके मूल्यों को बरकरार रख उन्हें सर्वश्रेष्ठ सम्मान दे सकते हैं।
बता दें कि अनीता बोस नेताजी की इकलौती संतान हैँ। उन्होंने भारत सरकार से मांग की है कि सुभाष चंद्र बोस के अवशेषों को वापस लाया जाए। उन्होंने कहा कि नेताजी ने एक धर्मनिरपेक्ष र समान अधिकारों वाले भारत की परिकल्पना की थी, जहां पर सभी धर्मों के लोग शांति के साथ रह सकें।
अनीता बोस ने आगे कहा कि नेताजी एक व्यक्ति के तौर पर काफी धार्मिक थे। वह चाहते थे कि आजाद भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य बने। नेताजी सभी धर्मों, जातियों और सामाजिक स्तरों के सदस्यों के लिए समान अधिकार, अवरस और कर्तव्य में विश्वास करते थे।
गौरतलब है कि सेकेंड वर्ल्ड वॉर के वक्त अग्रेंजों के खिलाफ लड़ने के लिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने जापान के सहयोग से आजाद हिंद फौज का गठन किया था। सरकारी दस्तावेजों के मुताबिक, उनकी मृत्यु 18 अगस्त 1945 को विमान हादसे में हुई थी। जापान जाते समय उनका विमान क्रैश हो गया था, हालांकि कभी भी नेताजी का शव नहीं मिला और उनकी मौत अभी भी एक बड़ा रहस्य है।
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