सहारनपुर. दारुल उलूम देवबंद के एक काज़ी ने सादी समारोह में नाच गाने को लेकर नया फतवा जारी किया है. शहर के काज़ी मुफ्ती अज़हर हुसैन ने कहा कि निकाह के दौरान गाने और डांस इस्लाम में हराम है. उन्होंने कहा कि काज़ी ऐसे निकाह नहीं कराएंगे, जहां गाने और डांस की व्यवस्था होगी. मुफ्ती अज़हर हुसैन ने कहा कि अगर निकाह से पहले संगीत या डांस होता है तो ये अलग मामला है.
मुफ्ती अज़हर हुसैन ने कहा कि मुस्लिमों के विवाह समारोह में इस्लामिक परंपराओं के खिलाफ डीजे-बैंडबाजा का इस्तेमाल शुरू कर दिया है जोकि शरीयत के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि इसके इस्तेमाल से ध्वनि प्रदूषण होता और समाज के सभी वर्ग के लोगों को घोर परेशानियों का सामना करना पड़ता है. साथ ही यह फिजूलखर्ची भी है, जिसे हर हालत में रोका जाना चाहिए. कोटा राजस्थान के मौलाना पहले ही मुस्लिम शादियों में डीजे, लाउड म्यूजिक और बैंड को बैन कर चुके हैं.
बता दें कि देवबंद की ओर से हमेशा ही विवादास्पद फतवा जारी किया जाता है. पिछले दिनों यह फतवा जारी किया गया था कि मुसलमान लाइफ एश्योरेंस और इस तरह की कोई पॉलिसी ना लें. इससे पहले 10 फरवरी को देवबंद की ओर से एक और फतवा जारी किया गया था. जिसमें कहा गया है कि मुस्लिम महिलाओं का बाजार में या कहीं भी गैर-महरम मर्दों (पराये मर्दों) से चूड़ियां पहनना सरासर गलत है. दरअसल इस बारे में दारुल उलूम के इफ्ता विभाग से एक सवाल किया गया था, जिसके जवाब में उलेमाओं ने इसे नाजायज और गुनाह बताते हुए फतवा जारी कर दिया.
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