Dalits convert to Buddhism: मेरठ में 1500 लोग हिंदू धर्म छोड़ बने बौद्ध, धर्म परिवर्तन करने वालों में सबसे ज्यादा दलित

Dalits convert to Buddhism: मेरठ में 1500 लोगों ने बौद्ध धर्म अपना लिया है. बौद्ध धर्म अपनाने वाले लोगों में ज्यादातर दलित समाज के लोग शामिल हैं. मेरठ के विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय में हजारों की संख्या में लोग जमा हुए. इस दौरान विश्व विद्यालय के मालिक अतुल कृष्ण ने भी परिवार सहित बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया.

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Dalits convert to Buddhism: मेरठ में 1500 लोग हिंदू धर्म छोड़ बने बौद्ध, धर्म परिवर्तन करने वालों में सबसे ज्यादा दलित

Aanchal Pandey

  • October 25, 2018 5:24 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

मेरठ. उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में 1,500 से अधिक दलित और पिछड़ी जातियों के लोगों ने अपना धर्म परिवर्तन कर लिया है. खबरों के मुताबिक धर्म परिवर्तन करने वालों में ज्यादातर दलित हैं. मेरठ में स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय में इस आयोजन पर करीब 6 हजार लोग एकत्रित हुए. सुभारती विश्वविद्याल के मालिक अतुल कृष्ण ने धर्म परिवर्तन के मामले पर कहा कि ये अहिंसा और प्रेम के संदेशों से उठाया गया कदम है. जबकि बौद्ध धर्म की दीक्षा लेने आए सैकड़ों लोगों का कहना था कि उन्होंने दलितों के खिलाफ हिंसा के चलते हिंदू धर्म छोड़ कर बौद्ध धर्म अपनाने का फैसला किया है.

सुभारती विश्वविद्याल के बौद्ध उपवन में मेरठ और उसके आसपास इलाकों में रहने वाले सैकड़ों लोग धर्म परिवर्तन करने के लिए पहुंचे. स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय के सर्वेसर्वा डॉक्टर अतुल कृष्ण ने पिछले कुछ सालों से बौद्ध धर्म परिवर्तन का अभियान चला रखा है. अतुल कृष्ण खुद परिवार सहित बौद्ध धर्म अपना चुके हैं. धर्म परिवर्तन के अवसर पर 1500 से अधिक लोग बौद्ध धम्म दीक्षा कार्यक्रम में शामिल हुए और उन्होंने हिंदू धर्म से अलग होकर बौद्ध भिक्षुओं और अतुल कृष्ण की उपस्थिति में बौद्ध धर्म अपनाया.

https://youtu.be/BMgdJRxrLy8

धर्म परिवर्तन को लेकर आयोजकों का कहना है कि इस आयोजन का राजनीति से लेना-देना नहीं है. यहां पर दीक्षा लेने आए सभी लोगों ने अपनी स्वेच्छा से बौद्ध धर्म को स्वीकार किया है. उनके साथ कोई जबरदस्ती नहीं कई. बौद्ध धर्म के विद्वान डॉक्टर चंद्रकीर्ति भंते का कहना था कि लोगों ने स्वेच्छा से बौद्ध धर्म की दीक्षा ली है, उन्होंने आगे कहा कि सरकार एक ऐसे समाज का निर्माण करे जहां पर जातिवाद न हो. वहीं विवेकानंद सुभारती यूनिवर्सिटी के मालिक अतुल कृष्ण ने कहा कि बौद्ध धर्म मैत्री भाईचारे, करुणा और प्रेम का धर्म है, बौद्ध धर्म ही एक ऐसा धर्म है जहां पर जातिवाद नहीं है. इसमें इनसान का इनसान के प्रति प्रेम को महत्व दिया जाता है.

बौद्ध धर्म की दीक्षा लेने आए मामराज के मुताबिक हम अपनी इच्छा से बौद्ध धर्म को अपना रहे है, हम दलित समाज से वास्ता रखते हैं, उन्होंने कहा कि हम मौजूदा समय में राजनीति के स्ट्रक्चर से तंग आ चुके हैं. 2 अप्रैल को हमारे समाज के लोगों को गलत फंसाया गया. बहुत से लोगों की अभी तक जमानत नहीं हुई है, क्या भूल आप भूल गए हमारे लोगों पर झूठी मुकदमें लिखाए गए. हम धर्म परिवर्तन कर अपने जाति का टैग हटाना चाहते हैं. धर्म परिवर्तन करने आए कपिल सिंह का कहना है बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर द्वारा अपनाए गए बौद्ध धर्म को अपनाने में क्या हर्ज है? समाज में फैली जाति व्यवस्था ने नीचे तबके के लोगों को बहुत नुकसान पहुंचाया है, अगर कोई भी धर्म हमें जातिवाद की बेड़ियों से बाहर निकाल सकता है तो उसको अपनाने में कोई हानि नहीं है.

https://youtu.be/A33F31NeZyQ

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