अखाड़ा परिषद के अनुसार उनके इतिहास में यह पहला मौका होगा जब किसी दलित समुदाय से आने वाले संत को महामंडलेश्वर की पदवी दी जाएगी. इससे पहले आदिवासी समुदाय के कुछ संतों को महामंडलेश्वर बनाया जा चुका है. आजमगढ़ जिले की बरौली दिवाकर पट्टी गांव के रहने वाले कन्हैया कुमार कश्यप ने ज्योतिष शास्त्र में शिक्षा हासिल करने के बाद काफी पहले संसारिक दुनिया को अलविदा कह दिया था. जूना अखाड़ा, दलित सन्यासी कन्हैया कुमार कश्यप, महामंडलेश्वर
इलाहाबाद. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने पहली बार एक दलित साधु को महामंडलेश्वर बनाया है. सनातन संस्कृति के इतिहास में किसी दलित को महामंडलेश्वर उपाधि देने का अखाड़े का यह पहला निर्णय है. अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने इसकी पुष्टि की. उन्होंने कहा कि इससे कुंभ से पहले देश में सामाजिक गैर बराबरी और जातीय भेदभाव दूर करने में मदद मिलेगी. बता दें कि मंत्रोच्चार के बीच अभिषेक कर अखाड़ा के पंच परमेश्वर सहित अनेक महंतों ने उन्हें सिंहासन पर आसीन कराया. फिर छत्र, चंवर, छाता, छड़ी व चौर प्रदान करधर्महित में काम करने का संकल्प दिलाया.
अखाड़ा परिषद के अनुसार, उनके इतिहास में यह पहला मौका होगा जब किसी दलित समुदाय से आने वाले संत को महामंडलेश्वर की पदवी दी जाएगी. इससे पहले आदिवासी समुदाय के कुछ संतों को महामंडलेश्वर बनाया जा चुका है. आजमगढ़ जिले की बरौली दिवाकर पट्टी (लक्ष्मणपुर) गांव के रहने वाले कन्हैया कुमार कश्यप ने ज्योतिष शास्त्र में शिक्षा हासिल करने के बाद काफी पहले संसारिक दुनिया को अलविदा कह दिया था.
इलाहाबाद में जूना अखाड़े में शामिल किये गए कन्हैया प्रभुनंद गिरि को प्रयाग में लगने वाले आगामी 2019 कुंभ के दौरान महामंडलेश्वर बनाया जाएगा. कुंभ में ही उनका पट्टाभिषेक कर महामंडलेश्वर बनाने की प्रक्रिया शुरू होगी. बता दें कि कन्हैया प्रभु पंजाब में रहते हैं और उनके शिष्यों की संख्या भी काफी अधिक है. उज्जैन कुंभ के दौरान 22 अप्रैल 2016 को उन्हें विधिवत गोसाई साधु की दीक्षा जगद्गुरु पंचानंद गिरी जी महाराज ने दी थी. गोसाई साधु की दीक्षा के बाद उन्हें नया नाम कन्हैया प्रभु नंद गिरि मिला. फिलहाल कन्हैया प्रभु नंद गिरि पंजाब में रहते हैं और उनके शिष्यों की संख्या भी काफी अधिक है.