18 फरवरी को अंडोर गांव निवासी कुइयाराम मेघवाल की शादी थी. यहां दबदबा रखने वाले राजपूत समुदाय के लोगों ने कुइयाराम को घोड़ी न चढ़ने की चेतावनी दी थी. कुइयाराम के मुताबिक, राजपूतों ने कहा था कि तुम तो मेघवाल हो, हम ठाकुर हैं, अगर तुम घोड़ी पर बैठोगे तो हमारी मर्यादा क्या रह जाएगी?
जयपुर. देश में जातिगत भेदभाव की जड़ें अभी भी इतनी गहरी हैं कि इन्हें खत्म होने में दशकों लग जाएंगे. दलित समुदाय को आज भी लोग बराबरी पर खड़े होने के काबिल नहीं समझ रहे हैं. ताजा मामला राजस्थान से सामने आया है. यहां अंडोर गांव निवासी कुइयाराम मेघवाल ने राजपूतों की सलाह को दरकिनार कर घोड़ी चढ़कर बारात गांव से क्या निकाली उन्होंने 15 दिन बाद इसका बदला ले लिया. शादी के 15 दिन बाद राजपूत समुदाय के लोगों ने कुइयाराम मेघवाल के चाचा के पैर तोड़ दिए.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, घटना राजस्थान के सिरोही जिले की है. 18 फरवरी को अंडोर गांव निवासी कुइयाराम मेघवाल की शादी थी. यहां दबदबा रखने वाले राजपूत समुदाय के लोगों ने कुइयाराम को घोड़ी न चढ़ने की चेतावनी दी थी. कुइयाराम के मुताबिक, राजपूतों ने कहा था कि तुम तो मेघवाल हो, हम ठाकुर हैं, अगर तुम घोड़ी पर बैठोगे तो हमारी मर्यादा क्या रह जाएगी? इस धमकीनुमा चेतावनी को दरकिनार कर कुइयाराम घोड़ी पर सवार होकर शादी के लिए निकले. उस वक्त तो कोई अप्रिय घटना नहीं हुई लेकिन इससे नाराज गांव के दबंग राजपूतों ने 15 दिन बाद चाचा पाका राम पर हमला कर गंभीर रूप से घायल कर दिया.
दूल्हे के चाचा पाका राम पर हमला कर एक पैर तोड़ दिया गया. पाका राम पर हमला उस समय हुआ, जब वे वाटरवर्क्स बोर्ड दफ्तर से घर लौट रहे थे. इस मामले में पुलिस ने एससी-एससी एक्ट की धाराओं के साथ आईपीसी की धारा 307,365, 323, 341 के तहत आरोपियों पर केस दर्ज किया है. पुलिस शुरुआती जांच में आपसी कहासुनी के चलते पाका राम पर हमला बता रही है. वहीं कुइयाराम के मुताबिक, घोड़ी चढ़ने पर दबंगों की धमकी के बारे में पुलिस को सूचना दी गई थी. कुइयाराम से पहले इस गांव में मेघवाल समाज का कोई व्यक्ति घोड़ी नहीं चढ़ा है.
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