तिब्बत पर बोले दलाई लामा, चीन से स्वतंत्रता नहीं और विकास चाहिए

दलाई लामा ने कहा कि चीन को तिब्बतियों की संस्कृति और विरासत का सम्मान करना चाहिए. तिब्बत का एक अलग संस्कृति और एक अलग स्क्रिप्ट है. चीनी लोगों को अपने देश से प्यार है हम अपने देश से प्यार करते हैं.

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तिब्बत पर बोले दलाई लामा, चीन से स्वतंत्रता नहीं और विकास चाहिए

Aanchal Pandey

  • November 24, 2017 8:37 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

कोलकाता. चीन को लेकर रवैये में तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के व्यवहार में बदलाव दिखाई दे रहा है. दलाई लामा ने चीन और तिब्बत को लेकर एक बयान दिया है जिसमें कहा कि तिब्बत चीन से आजादी नहीं, और अधिक विकास चाहता है. दलाई लामा ने कहा कि चीन और तिब्बत के बीच करीबी संबंध रहे हैं. हालांकि, कभी-कभार उनके बीच संघर्ष भी हुआ है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अरुणाचल प्रदेश दौरे को लेकर चीन की आपत्तियों से संबंधित एक सवाल का जवाब देते हुए दलाई लामा ने कहा कि भारत और चीन को हिंदी-चीनी भाई-भाई की भावना का सम्मान करना चाहिए.

दलाई लामा ने इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा आयोजित एक गोष्ठी में कहा कि चीन को भारत की और भारत को चीन की जरूरत है और दोनों को एक साथ रहना है. उन्होंने कहा, शांति से रहने और एक-दूसरे की सहायता करने के अलावा दोनों देशों के पास और कोई रास्ता नहीं है. दलाई लामा ने कहा कि जो बीत चुका है वह बीत चुका है और अब हमें भविष्य में देखने की जरूरत है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि तिब्बत के लोग चीन के साथ रहना चाहते हैं.

धर्मगुरु लामा ने आगे कहा कि किसी चीनी को नहीं पता कि पिछले कुछ सालों में ऐसा क्या हो गया कि चीन इतना बदल गया. दुनिया में शामिल होने के साथ चीन पहले जैसा था उससे अब 40 से 50 फीसदी तक बदल गया है. हम स्वतंत्रता नहीं मांग रहे बल्कि हम चीन के साथ रहना चाहते हैं. हम विकास चाहते हैं. उन्होंने कहा कि चीन को तिब्बत की संस्कृति और सभ्यता का सम्मान करना चाहिए. तिब्बत की अलग संस्कृति और अलग इतिहास रहा है.

दलाई लामा ने तिब्बती पठार के पारिस्थितिक महत्व का भी उल्लेख किया और कहा कि एक चीनी परिस्थितिविज्ञानी ने कहा था कि इसका पर्यावरणीय प्रभाव दक्षिण ध्रुव और उत्तरी ध्रुव की तरह था. बौद्ध नेता ने कहा कि पारिस्थितिकी विज्ञानी इसे तीसरी ध्रुव कहलाता है. दलाई लामा ने कहा कि यांग्त्ज़ी से सिंधु नदियों तक, प्रमुख नदियों… तिब्बत से आते हैं. जीवन के अरबों में शामिल हैं तिब्बती पठार की देखभाल केवल तिब्बत के लिए नहीं बल्कि अरबों लोगों के लिए ही अच्छी है.

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