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Dalai Lama Birthday : तिब्बतियों के धर्मगुरु दलाई लामा का जन्मदिन आज, जानिए क्यों छोड़ना पड़ा था तिब्बत?

नई दिल्ली। दलाई लामा को तिब्बतियों के धर्मगुरु की पदवी प्रदान की गई है। इस पदवी को तेनजिन ग्यात्सो कई वर्षो से संभाल रहे हैं, ये 14वें दलाई लामा हैं और दशकों से तिब्बतवासियों को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। जानिए दलाई लामा से जुड़े कुछ रोचक बातें। आज 14वें दलाई लामा […]

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dalai lama
  • July 6, 2022 2:55 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली। दलाई लामा को तिब्बतियों के धर्मगुरु की पदवी प्रदान की गई है। इस पदवी को तेनजिन ग्यात्सो कई वर्षो से संभाल रहे हैं, ये 14वें दलाई लामा हैं और दशकों से तिब्बतवासियों को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। जानिए दलाई लामा से जुड़े कुछ रोचक बातें।

आज 14वें दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो का जन्मदिन है। इनका जन्म 6 जुलाई 1935 को पूर्वी तिब्बत के औमान परिवार में हुआ था। ये भगवान बुध्द से बड़ा प्रभावित थे और इन्होनें बुध्द के गुणो को अपने जीवन में अपनाया है, इसलिए कई लोगो द्वारा दलाई लामा को भगवान बुध्द के गुणों का साक्षात रूप माना जाता हैं। दलाई लामा दया, करुणा और अहिंसा जैसे गुणों से परिपूर्ण हैं और एक अद्भुत आंदोलनकारी भी हैं। जब तिब्बत पर चीन ने कब्जा किया था तो दलाई लामा तिब्बत छोड़ कर भारत आ गए थे। और हिमाचल प्रदेश में रहकर वे लगातार अहिंसात्मक रूप से तिब्बत वासियों को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। आज उनके जन्मदिन पर हम आपको उनके बारे में कुछ रोचक बात बताते हैं।

– दलाई लामा ने 6 साल की उम्र में ही मोनेस्टिक शिक्षा प्राप्त की थी, इसमें मोनेस्टिक शिक्षा में बौध्द धर्म पर ज्यादा जोर दिया जाता है जिसके कारण उन्हे बचपन से ही इस धर्म का अच्छा ज्ञान था।

– शांति, अहिंसा, धार्मिक समझ और करूणा के संदेश के लिए दलाई लामा को 150 से अधिक पुरस्कार मिल चुके है।

– ये 6 महाद्वीपों में 67 से ज्यादा देशो में यात्रा कर चुके हैं।

– 1950 में जब तिब्बत पर चीन ने हमला किया था तो दलाई लामा को राजनीतिक सत्ता की जिम्मेदारी संभालने को कहा गया था। उस समय वो चीनी नेताओं से मिलने बीजिंग गए थे, लेकिन चीनी सैनिकों का तिब्बतियों पर लगातार अत्याचार बढ़ता जा रहा था 1959 में चीन ने तिब्बत को अपने कब्जे में ले लिया जिसके कारण दलाई लामा को अपना निवास स्थान छोड़ना पड़ा।

– दलाई लामा ने भारत आने के बाद हिमाचल के मैक्लोडगंज को अपनी कर्मभूमी बनाया। यहां से उन्होनें दुनियाभर के तिब्बतियों को एक मंच पर लाने का प्रयास किया।

– दलाई लामा को शांति, अहिंसा, धार्मिक समझ, करूणा और अहिंसक संघर्ष के कारण वर्ष 1989 में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।

– धर्मगुरु दलाई लामा ने तिब्बत की लोकतांत्रिक संविधान के लिए एक ड्ऱॉफ्ट पेश किया। मौजूदा समय में तिब्बत सरकार का बकायदा चुनाव होता है।, 2011 में उन्होंने खुद के राजनीतिक अधिकार सौंप दिए और स्वंय को रिटायर्ड घोषित कर दिया।

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