नई दिल्ली: भारत में 5% से भी कम कंपनियां साइबर सुरक्षा जोखिमों से निपटने में सक्षम हैं, एक अध्ययन में इस बात का पता चला है. इन कंपनियों का कहना है कि अगले दो सालों में उनके कारोबार पर ऐसे खतरों का असर पड़ने की आशंका है. गुरुवार को जारी सिस्को साइबर सिक्योरिटी रेडीनेस इंडेक्स […]
नई दिल्ली: भारत में 5% से भी कम कंपनियां साइबर सुरक्षा जोखिमों से निपटने में सक्षम हैं, एक अध्ययन में इस बात का पता चला है. इन कंपनियों का कहना है कि अगले दो सालों में उनके कारोबार पर ऐसे खतरों का असर पड़ने की आशंका है. गुरुवार को जारी सिस्को साइबर सिक्योरिटी रेडीनेस इंडेक्स में पाया गया है कि आज के साइबर खतरों से निपटने के लिए भारत में सिर्फ 4% कंपनियां तैयार हैं, यहां 59% कंपनियां इस तैयारी के प्रारंभिक चरण में हैं।
वैश्विक स्तर पर 3% कंपनियां परिपक्व अवस्था में हैं जो साइबर सुरक्षा जोखिमों से निपटने के लिए तैयार हैं, सिस्को का कहना है कि कंपनियां इन हमलों के खिलाफ सुरक्षा का निर्माण कर रही हैं, लेकिन उनकी अपनी सुरक्षा व्यवस्था धीमी हो गई है. यह अध्ययन 8 हजार से अधिक निजी क्षेत्र के बिजनेस लीडर्स के सर्वेक्षण पर आधारित है. इनमें से एक हजार से ज्यादा भारत से हैं, जिन पर साइबर सुरक्षा की जिम्मेदारियां हैं।
अध्ययन से पता चला कि सर्वेक्षण में शामिल 82% प्रतिभागियों को उम्मीद है कि साइबर सुरक्षा से जुड़ी कोई घटना अगले दो सालों में उनके बिजनेस को बाधित कर देगी, इसमें कहा गया है कि इसके लिए तैयार न होने काफी संकट में डाल सकती है. इसमें 74% लोगों ने कहा कि उन्होंने पिछले एक साल में साइबर सुरक्षा से जुड़ी चीजों का सामना किया है. प्रभावित लोगों में से 55% ने कहा कि इसके चलते उन्हें कम से कम तीन लाख अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ है।
हालांकि अध्ययन में कहा गया है कि इस समस्या से निपटने के लिए बिजनेस अपने निवेश में वृद्धि कर रहे हैं. 71% कंपनियां अगले दो सालों में अपने आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर को महत्वपूर्ण रूप से अपग्रेड करने की योजना बना रही हैं।
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