नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को थाईलैंड के राजा महा वजिरालोंगकोर्न और रानी सुतिदा से बैंकॉक के दुशित महल में मुलाकात की। इस भेंट के दौरान भारत और थाईलैंड के बीच सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और जनसंपर्क आधारित संबंधों को और सशक्त बनाने पर चर्चा हुई। दोनों नेताओं ने भगवान बुद्ध की विरासत को साझा करने और इससे जनभावनाओं को जोड़ने पर विशेष बातचीत की।
ध्यानमग्न बुद्ध की पीतल प्रतिमा भेंट की
प्रधानमंत्री मोदी ने थाई राजा को बिहार की गुप्त व पाल काल की कलात्मक शैली में निर्मित एक ध्यानमग्न बुद्ध की पीतल प्रतिमा भेंट की। यह प्रतिमा आंतरिक शांति, करुणा और ज्ञान का प्रतीक मानी जाती है, जिसमें कमलासन पर बैठे बुद्ध के चारों ओर पुष्प व देवताओं की नक्काशी की गई है। रानी सुतिदा को वाराणसी की पारंपरिक ब्रोकेड सिल्क शॉल उपहार में दी गई, जिसमें लघु चित्रकला और पिछवई कला से प्रेरित ग्रामीण जीवन और उत्सवों की सुंदर छवियां उकेरी गई हैं। इसकी जीवंत रंग योजना और सुनहरे बॉर्डर ने इसे विशेष भव्यता दी है।
मोर और दीया का सजावटी संयोजन था
थाई प्रधानमंत्री सेथ्था थाविसिन को छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध ‘डोकरा’ धातु कला में बनी एक पीतल की नाव भेंट की गई, जिसमें एक जनजातीय नाविक बैठा है। यह कला कृति मानव और प्रकृति के सामंजस्य का प्रतीक है। थाई प्रधानमंत्री की पत्नी को पारंपरिक मीनाकारी से सुसज्जित सोने की परत वाली बाघ आकृति वाली कफलिंक दी गई, जो नेतृत्व, शक्ति और राजसी गरिमा का प्रतिनिधित्व करती है। पूर्व प्रधानमंत्री थक्सिन शिनवात्रा को आंध्र प्रदेश की पारंपरिक धातु कला में बनी एक पीतल की उरली भेंट की गई, जिसमें मोर और दीया का सजावटी संयोजन था, जो पवित्रता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
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