पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा की 2004 में मृत्यु हुई थी। वो अपनी पार्टी के लिए इतने महत्वहीन हो गए थे कि उनकी चिता जल गई लेकिन उस पर हमला करने वाले आवारा कुत्तों से बचाने के लिए कोई नहीं था।
नई दिल्ली। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन के बाद उनपर सियासत जारी है। कांग्रेस निगम बोध घाट पर अंतिम संस्कार को लेकर भाजपा पर हमला कर रही है तो वहीं बीजेपी ने भी पूर्व पीएम के अस्थि विसर्जन को लेकर कांग्रेस पर तंज कसा है। रविवार को मनमोहन सिंह का अस्थि विसर्जन किया गया, जहां एक भी कांग्रेस नेता नहीं दिखे। गांधी परिवार का सदस्य वहां मौजूद नहीं था। बीजेपी ने इसे लेकर कांग्रेस पर हमला किया कि कैमरा नहीं था, इसलिए राहुल-प्रियंका वहां नहीं गए।
इन सबके बीच पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के अंतिम संस्कार को लेकर भी कांग्रेस पर खूब हमले किए जा रहे हैं। आइये जानते हैं कि पूरा माजरा क्या है- पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा की 2004 में मृत्यु हुई थी। वो अपनी पार्टी के लिए इतने महत्वहीन हो गए थे कि उनकी चिता जल गई लेकिन उस पर हमला करने वाले आवारा कुत्तों से बचाने के लिए कोई नहीं था। विनय सीतापति की पुस्तक हाफ-लायन: हाउ पी.वी. नरसिम्हा राव ट्रांसफॉर्म्ड इंडिया में लिखा गया है कि सोनिया गांधी से ख़राब रिश्ते का खामियाजा नरसिम्हा राव को भुगतना पड़ा।
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23 दिसंबर 2004 में जब राव की मृत्यु हुई तो परंपरा के मुताबिक उनके बेटे प्रभाकर राव ने शव को कांग्रेस मुख्यालय ले जाने को कहा। ऐसी परंपरा रही है कि कांग्रेस नेता हेड क्वार्टर में ही दिवंगत नेता को श्रद्धांजलि देते हैं। उनके शव को 30 मिनट तक मुख्यालय के बाहर रखा गया लेकिन दरवाजा नहीं खुला। बाद में हैदराबाद ले जाकर अंतिम संस्कार किया गया। उसी रात टीवी चैनलों पर अधजले शव को दिखाया गया। आवारा कुत्ते उनके सिर और चिता पर झपट रहे थे।
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