Covid 19: जानिए BF.7 से संक्रमित होने के लक्ष्ण, ये कितना जानलेवा है?

Covid 19: चीन में तेजी से फैल रहे कोविड-19 के एक नए म्यूटेशन BF.7 ने एक बार फिर से लोगों को मास्क पहनने और टीका लगवाने के लिए मजबूर किया है. देश में BF.7 के चार मामले सामने आए हैं। इनमें से तीन गुजरात और एक ओडिशा का है। खबर है कि दो संक्रमित व्यक्ति […]

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Covid 19: जानिए BF.7 से संक्रमित होने के लक्ष्ण, ये कितना जानलेवा है?

Amisha Singh

  • December 23, 2022 8:26 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

Covid 19: चीन में तेजी से फैल रहे कोविड-19 के एक नए म्यूटेशन BF.7 ने एक बार फिर से लोगों को मास्क पहनने और टीका लगवाने के लिए मजबूर किया है. देश में BF.7 के चार मामले सामने आए हैं। इनमें से तीन गुजरात और एक ओडिशा का है। खबर है कि दो संक्रमित व्यक्ति अमेरिका की यात्रा करके लौटे थे। ये दोनों मरीज़ महिलाएं हैं। हालांकि चारों अब ठीक हो चुके हैं।जहां भारत में रोजाना आने वाले मामलों की तादाद काबू में है, वहीं केंद्र ने बुधवार को संक्रमित मरीजों को निगरानी में रखने पर चर्चा की। अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर आने वाले यात्रियों के दोबारा सैंपल लिए जा रहे हैं। केंद्र ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से गुज़ारिश की है कि वे सभी कोविड मामलों के नमूने को जाँच के लिए भेजें।

 

मुझे कैसे पता चलेगा कि मुझे BF.7 संक्रमण है?

 

आपको बता दें, BF.7 से संक्रमित मरीजों में ओमिक्रॉन वैरिएंट से संक्रमित लोगों के समान लक्षण दिखाई देते हैं। इसके लक्षणों में ऊपरी श्वसन पथ का संक्रमण, गले में खराश, थकान, नाक बहना, खांसी और बुखार शामिल हैं। कुछ मरीज़ों को धीमी गति और पेट दर्द की शिकायत हो सकती है। नए सबवैरिएंट के कारण ज्यादा लोगों को अस्पताल में भर्ती नहीं कराना पड़ा है। हालांकि, ऐसे कुछ मामले हैं जहां रोगी को निमोनिया हो गया है। ज़्यादातर विशेषज्ञ इस बात से सहमत हैं कि चौथी बूस्टर खुराक कुछ हद तक इम्युनिटी और सुरक्षा प्रदान कर सकती है।

क्या BF.7 सबवैरिएंट ज़्यादा घातक है?

BF.7 वैरिएंट ओमिक्रॉन का एक वैरिएंट है, जिसमें ओमिक्रॉन की तुलना में न्यूट्रलाइज़ेशन ज़्यादा है, जिसका अर्थ है कि टीकाकरण या बाईवेलेंट बूस्टर इस संक्रमण को रोकने में सक्षम नहीं हो सकते हैं। नए वैरिएंट की इनक्यूबेशन अवधि कम है, जिसका मतलब है कि आरटी-पीसीआर परीक्षण संक्रमण का पता लगाने में प्रभावी नहीं होंगे। उच्च संचरण दर के साथ, यह मौजूदा एक्सबीबी स्ट्रेन की जगह लेगा, जो भारत में नए रोगियों में सबसे अधिक पाया जाता है। य अगर इसके फैलाव को रोकने के लिए कोई जरूरी कदम नहीं उठाया गया तो यह जोखिम का कारण बन सकता है।

 

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