प्रोफेसर रतन लाल को जमानत देते हुए कोर्ट की टिप्पणी, ‘एक की भावना आहत होने से सब की भावना आहत नहीं होती’

नई दिल्ली। सोशल मीडिया पर विवादित पोस्ट करने के आरोप में गिरफ्तार दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रतन लाल को कोर्ट से जमानत मिल गई है। इसके साथ ही कोर्ट की ओर से प्रोफेसर रतन लाल को यह भी निर्देश दिया गया है कि वह इस विवादित मुद्दे पर न तो किसी तरह की पोस्ट सोशल […]

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प्रोफेसर रतन लाल को जमानत देते हुए कोर्ट की टिप्पणी, ‘एक की भावना आहत होने से सब की भावना आहत नहीं होती’

Pravesh Chouhan

  • May 22, 2022 11:36 am Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली। सोशल मीडिया पर विवादित पोस्ट करने के आरोप में गिरफ्तार दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रतन लाल को कोर्ट से जमानत मिल गई है। इसके साथ ही कोर्ट की ओर से प्रोफेसर रतन लाल को यह भी निर्देश दिया गया है कि वह इस विवादित मुद्दे पर न तो किसी तरह की पोस्ट सोशल मीडिया पर पोस्ट करेंगे और न ही इस विषय पर मीडिया को इंटरव्यू देंगे। अदालत ने उन्हें 50 हजार रुपये के मुचलके पर जमानत दे दी है। हालांकि, कोर्ट के सामने बहस करते हुए दिल्ली पुलिस ने प्रोफेसर रतन लाल को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजने की मांग की थी।

कोर्ट ने की ये टिप्पणी

मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट (मध्य) सिद्धार्थ मलिक ने प्रोफेसर रतनलाल को जमानत आदेश में कहा है कि भारतीय सभ्यता दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है। इस देश की सभ्यता सभी धर्मों को मानने वालों के प्रति उदार रही है। 130 करोड़ से ज्यादा की आबादी वाले इस देश में सबकी अपनी-अपनी सोच है। किसी की भावनाओं को आहत करने का मतलब यह नहीं है कि पूरे समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाई गई है। अगर इस बारे में कोई शिकायत है तो उसे भी समग्र रूप से देखने की जरूरत है।

सबकी अपनी अपनी राय हो सकती है

सीएमएम ने अपने आदेश में यह भी कहा कि मैं खुद हिंदू धर्म का आस्तिक हूं और मेरे विचार से यह पोस्ट एक अप्रिय और विवादास्पद विषय पर की गई एक अनावश्यक टिप्पणी है। यह पोस्ट दूसरों की नजर में शर्मनाक हो सकती है। लेकिन वह इसे समुदाय के प्रति घृणा नहीं मान सकते। सबकी अपनी-अपनी राय हो सकती है।

आरोपी ने बेवजह की पोस्ट

इसमें कोई शक नहीं कि लोगों की संजीदगी को देखते हुए आरोपी ने बेवजह पोस्ट किए। हालांकि यह पोस्ट निंदनीय है, फिर भी इसे समुदायों में नफरत फैलाने वाला नहीं कहा जा सकता। क्योंकि पुलिस को शांति बनाए रखनी है, उनकी कार्रवाई समझ में आती है, लेकिन इस अदालत के लिए पुलिस हिरासत का आदेश देने के लिए उच्च मानक हैं। इसलिए कोर्ट को नहीं लगता कि आरोपी को जेल भेजने की जरूरत है। आरोपी को जमानत दी जाती है। साथ ही आरोपी को यह भी निर्देश दिया जाता है कि वह इस विवादित विषय को लेकर आगे कोई सोशल मीडिया पोस्ट न करें/मीडिया में इंटरव्यू देने से बचे।

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