कोरोना मरीज को सांस लेने में हो रही है तकलीफ तो तुरंत करें से उपाय, चेस्ट फिजियोथैरेपी से कई मरीज हुए ठीक

कोरोनावायरस इस बार सीधा फेफड़ो पर ही असर करता है. इसी बीच एक अच्छी खबर सामने आ रही है.  मरीजों के इलाज के लिए चेस्ट फिजियोथेरेपी की मदद भी ली जा रही है जिसका रिजल्ट भी अच्छा सामने आ रहे है. राजस्थान की राजधानी जयपुर में चेस्ट फिजियोथैरपी की मदद से कोरोना रोगियों का इलाज किया जा रहा है.

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कोरोना मरीज को सांस लेने में हो रही है तकलीफ तो तुरंत करें से उपाय, चेस्ट फिजियोथैरेपी से कई मरीज हुए ठीक

Aanchal Pandey

  • May 14, 2021 8:33 pm Asia/KolkataIST, Updated 4 years ago

नई दिल्ली. कोरोनावायरस इस बार सीधा फेफड़ो पर ही असर करता है. इसी बीच एक अच्छी खबर सामने आ रही है.  मरीजों के इलाज के लिए चेस्ट फिजियोथेरेपी की मदद भी ली जा रही है जिसका रिजल्ट भी अच्छा सामने आ रहे है. राजस्थान की राजधानी जयपुर में चेस्ट फिजियोथैरपी की मदद से कोरोना रोगियों का इलाज किया जा रहा है.

कोरोना संक्रमित जो मरीज ऑक्सीजन की कमी के चलते परेशान हो रहे हैं, उनके लिए चेस्ट फिजियोथैरपी कारगर साबित होती नजर आ रही है. इसके जरिए जयपुर के कई अस्पतालों में भर्ती मरीजों का न केवल ऑक्सीजन लेवल बढ़ा है, बल्कि मरीज फेफड़ों की रिकवरी भी तेजी से हुई है. ऐसे भी रिजल्ट सामने आए हैं कि जो मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर थे, इस थैरेपी से उनका ऑक्सीजन लेवल नॉर्मल हो गया.

जयपुर के रि-लाइफ हॉस्पिटल के चीफ फिजियोथैरेपिस्ट डॉ अवतार डोई ने बताया कि जयपुर में चेस्ट फिजियोथैरेपी को अभी दूसरे अस्पतालों में शुरू नहीं किया है, लेकिन हमने व्यक्तिगत रूप से कुछ अस्पतालों में जाकर मरीजों को ये थैरेपी दी. उन्होंने बताया कि बीते 15-20 दिन के अंदर 100 से ज्यादा मरीजों पर ये थैरेपी अपनाई है. इसके बहुत अच्छे रिजल्ट मिले हैं.

इस थैरेपी से न केवल मरीज का सैचुरेशन लेवल बढ़ा, बल्कि फेफड़ों की रिकवरी भी तेजी से हुई. इसे लेने के बाद कई मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट की भी जरूरत नहीं पड़ी. डॉ. अवतार डोई ने बताया कि ये थैरेपी केवल उन्हीं मरीजों को दी जाती है, जिनका सैचुरेशन लेवल 80 या उससे ऊपर है. इसमें हम मरीज के लंग्स में जमा स्पुटम (कफ) को ढीला करते हैं, जिससे कफ बाहर आने लगता है और मरीज की सांस लेने की कैपेसिटी बढ़ जाती है.

बता दे, फेफड़ों में जमे टाइट कफ को ढीला कर बाहर निकालने के लिए डॉक्टर अलग-अलग दवाइयां देते हैं, जिसमें समय लगता है. जबकि चेस्ट थैरेपी में बिना दवाइयों के कफ को ढीला करते हैं और वह अपने आप मरीज के शरीर से बाहर निकलने लगता है. मरीज के शरीर से जब कफ बाहर आता है तो उसे सांस लेने में आसानी होती है। संक्रमित फेफड़े भी जल्दी से ठीक होने लगते हैं.

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