नई दिल्ली. कोरोना में सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क लगाना कितना जरूरी है ये तो आप रोज सुनते ही हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि -3 हफ्तों तक एक ही मास्क के प्रयोग से ब्लैक फंगस हो सकता है। एम्स में न्यूरोसर्जरी के प्रोफेसर डॉ, पी शरत चंद्र ने ब्लैक फंगस को लेकर बात की है।
डॉ. पी शरत चंद्र ने कहा कि दो से तीन सप्ताह के लिए एक ही मास्क का इस्तेमाल करने से भी काली कवक या ब्लैक फंगस (म्यूकरमाइकोसिस) संक्रमण का खतरा उत्पन्न हो सकता है। उन्होंने कहा कि बताया है कि कोरोना से संक्रमित हो चुके मरीजों को छह हफ्तों तक ब्लैक फंगस का खतरा सबसे अधिक होता है।
सरत चंद्रा ने कहा, ”फंगल इंफेक्शन कोई नई बात नहीं है, लेकिन यह महामारी के अनुपात में कभी नहीं हुआ है। हम सटीक कारण नहीं जानते कि यह महामारी के अनुपात में क्यों पहुंच रहा है लेकिन हमारे पास यह मानने के लिए कई कारण हैं।” उन्होंने आगे बताया कि ब्लैक फंगस होने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कारणों में अनियंत्रित डायबिटीज, इलाज के दौरान टोसीलिज़ुमैब के साथ स्टेरॉयड का ठीक तरीके से नहीं इस्तेमाल, वेंटिलेशन पर रहने वाले मरीज और सप्लीमेंट ऑक्सीजन लेना शामिल हैं। कोरोना इलाज के छह हफ्तों के भीतर यदि इनमें से कोई फैक्टर हैं तो मरीज में ब्लैक फंगस होने का सबसे ज्यादा रिस्क है।
देश के कई हिस्सों में इसके चलते कई लोगों को मौत हो चुकी है और सिर्फ महाराष्ट्र में इसके चलते करीब 90 लोगों की मौत हो चुकी हैं. ऐसे में एक दिन पहले केंद्र सरकार ने राज्यों से इसे महामारी अधिनियम 1897 के तहत महामारी घोषित करने का आग्रह किया है।
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