नई दिल्ली। कोरोमंडल एक्सप्रेस को भारतीय रेलवे के प्रमुख ट्रेनों में से एक मन जाता है। जो शुक्रवार यानी 2 जून की शाम को हादसे का शिकार हो गई। यह हादसा तकरीबन सात बजे ओडिशा बाहानगा बाजार स्टेशन पर हुआ। इस हादसे में कम से कम 280 यात्रियों की मौत हो गई और 900 से […]
नई दिल्ली। कोरोमंडल एक्सप्रेस को भारतीय रेलवे के प्रमुख ट्रेनों में से एक मन जाता है। जो शुक्रवार यानी 2 जून की शाम को हादसे का शिकार हो गई। यह हादसा तकरीबन सात बजे ओडिशा बाहानगा बाजार स्टेशन पर हुआ। इस हादसे में कम से कम 280 यात्रियों की मौत हो गई और 900 से ज्यादा यात्री घायल हैं।
कोरोमंडल एक्सप्रेस चेन्नई से हावड़ा के शालीमार स्टेशन के बीच चलती है। रोज चलने वाली यह एक्सप्रेस चार राज्यों से हो कर गुजरती है जो कि पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और तमिलनाडु है। पिछले साल जनवरी में इसका टर्मिनल बदल दिया गया था जो कि हावड़ा से शालीमार कर दिया, उससे पहले यह हावड़ा से चेन्नई सेंट्रल के बीच चलती थी। यह भारतीय रेलवे की शुरुआती सुपरफास्ट ट्रेनों में से एक है। यह चेन्नई मेल से पहले पहुंच जाती है। इसी कारण यह ट्रेन पूरे साल खचाखच भरी रहती है,और कोलकाता से चेन्नई जाने वाले अधिकांश यात्री इसे पसंद करते हैं।
कोरोमंडल एक्सप्रेस की शुरुआत 1977 में हुई थी। उस समय यह हफ्ते में केवल दो दिन ही चलती थी और केवल विजयवाड़ा, भुवनेश्वर और विशाखापटनम में रुकती थी। शुरुआती समय में यह सुपरफास्ट ट्रेन 23 घंटे 30 मिनट में 1,662 किमी की यात्रा पूरा करती थी। उस वक्त यह शाम 5.15 बजे हावड़ा से चलती थी और अगले दिन शाम के 4.45 बजे तक चेन्नई पहुंचती थी। वहीं इसकी वापसी सुबह 9.00 बजे चेन्नई से होती थी और अगले दिन सुबह 8.30 बजे हावड़ा पहुंचती थी। बाद में इसके स्टॉपेज की संख्या बढ़ाई गई और खड़गपुर, खुर्दा रोड, बालासोर, भद्रकऔर ब्रहमपुर में स्टॉप बनाया गया।