नई दिल्ली: वक्फ संशोधन बिल 2024 को संसद के दोनों सदनों से मंजूरी मिल गई है। 2 अप्रैल को लोकसभा में इस बिल पर लंबी बहस के बाद इसे 288 वोटों से पास किया गया। इसके बाद राज्यसभा में भी देर रात इसे मंजूरी दे दी गई। हालांकि, विपक्षी दलों ने इस बिल का कड़ा विरोध किया और अब इसे अदालत में चुनौती देने की तैयारी कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (जिसे पहले ट्विटर कहा जाता था) पर जानकारी दी कि उनकी पार्टी इस बिल की संवैधानिक वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। उन्होंने लिखा कि कांग्रेस भारत के संविधान में निहित सिद्धांतों और मूल्यों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और केंद्र सरकार की नीतियों का विरोध करती रहेगी।
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की
जयराम रमेश ने यह भी बताया कि यह पहली बार नहीं है जब कांग्रेस ने किसी कानून में हुए बदलाव के खिलाफ अदालत का रुख किया है। उन्होंने बताया कि सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम 2005 में 2019 में किए गए संशोधनों के खिलाफ भी कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर अब भी सुनवाई जारी है।
संवैधानिक प्रावधानों के विरुद्ध
इसके अलावा, रमेश ने बताया कि चुनाव नियमों में 2024 में हुए संशोधनों पर भी कांग्रेस ने न्यायालय में चुनौती दी हुई है। साथ ही, पूजा स्थल अधिनियम 1991 की भावना और प्रावधानों को बनाए रखने के लिए भी कांग्रेस की ओर से याचिका सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। विपक्ष का मानना है कि वक्फ संशोधन बिल कई संवैधानिक प्रावधानों के विरुद्ध है, और इसका असर अल्पसंख्यक समुदायों पर पड़ सकता है। इसी कारण अब यह मामला न्यायिक समीक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट में पहुंचने वाला है।