Congress UP Lok Sabha Seat Sharing SP BSP: लोकसभा चुनाव से पहले सपा-बसपा और आरएलडी गठबंधन के लिए यूपी में कांग्रेस ने छोड़ी सात सीटें, 2 सीटों पर अपना दल को टिकट

Congress UP Lok Sabha Seat Sharing SP BSP: लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने ऐलान किया है कि पार्टी मैनपुरी, कन्नौज, फिरोजाबाद समेत यूपी की 7 सीटों पर चुनाव नहीं लड़ेंगी. राहुल गांधी की कांग्रेस ने ये सीटें अखिलेश यादव की सपा, मायावती की बसपा और जयंत चौधरी की रोलद गठबंधन के लिए छोड़ने का फैसला किया है.

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Congress UP Lok Sabha Seat Sharing SP BSP: लोकसभा चुनाव से पहले सपा-बसपा और आरएलडी गठबंधन के लिए यूपी में कांग्रेस ने छोड़ी सात सीटें, 2 सीटों पर अपना दल को टिकट

Aanchal Pandey

  • March 17, 2019 3:35 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

लखनऊ. लोकसभा चुनाव 2019 से पहले यूपी में कांग्रेस पार्टी ने घोषणा की है कि मैनपुरी, कन्नौज, फिरोजाबाद समेत सूबे की 7 सीटों पर पार्टी अपने उम्मीदवार नहीं उतारेगी. पार्टी ने इन सीटों को अखिलेश यादव की सपा, मायावती की बसपा और अजीत सिंह की आरएलडी गठबंधन के उम्मीदवारों के लिए छोड़ी हैं. इसके साथ ही कांग्रेस पार्टी ने गोंडा और पीलीभीत की 2 सीटें अपना दल के लिए छोड़ दी हैं.

यूपी कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस बात की जानकारी दी है. राज बब्बर ने कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी यूपी की 7 सीटें सपा-बसपा, आरएलडी महागठबंधन के लिए छोड़ रही है जिसमें सपा के गढ़ मैनपुरी, कन्नौज और फिरोजाबाद भी शामिल है. वहीं पीलीभीत और गोंडा सीट पार्टी ने अपना दल के लिए छोड़ दी है.

राज बब्बर ने आगे बताया कि पार्टी ने महान दल से इस बारे में बातचीत की. महान दल का कहना है कि वह कांग्रेस के हर फैसले से संतुष्ट रहेगी. महान दल लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के चिन्ह से प्रत्याशी उतारेगी. वहीं जन अधिकार पार्टी के साथ कांग्रेस पार्टी ने 7 सीटों पर एग्रीमेंट किया है जिसमें 5 सीटों पर जन अधिकार पार्टी और 2 सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी उतारेगी.

लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी का महागठबंधन में शामिल होना तो अब मुश्किल लगता है. हालांकि कांग्रेस राजनीतिक शिष्टाचार दर्शाते हुए गठबंधन के लिए 7 सीटों पर चुनाव न लड़ने का फैसला किया है. ठीक उसी तरह जैसे गठबंधन ने राहुल गांधी की संसदीय सीट अमेठी और सोनिया गांधी की रायबरेली से उम्मीदवार न उतारने की घोषणा की थी.

चुनावी माहौल में कांग्रेस पार्टी के इस कदम को अखिलेश और मायावती को दोस्ती बढ़ाने का संदेश भी कहा जा सकता है. खबरों में पिछले काफी समय से मायावती कांग्रेस पार्टी से नाराज लग रही हैं. इसी बीच कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी का मेरठ के आनंद अस्पताल में दलित नेता चंद्रशेखर आजाद से मिलने से मायावती की नाराजगी और बढ़ने की खबरे आईं. ऐसे में शायद कांग्रेस गठबंधन की तरफ अपना रुख नर्म कर रही है. क्योंकि राहुल गांधी समझते हैं कि इस चुनाव में स्थानीय पार्टियां ही किंग मेकर साबित हो सकती हैं.

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