Congress-TMC Meet : साल 2024 भले ही अभी तीन साल दूर हो, लेकिन कांग्रेस और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच हाल की दोस्ती आम चुनावों के लिए मैदान तैयार कर रही है। जिसमें एक संयुक्त विपक्ष ने भाजपा के विजय रथ को रोकने और पीएम नरेंद्र मोदी को टक्कर देने की योजना बनाई है।
नई दिल्ली. साल 2024 भले ही अभी तीन साल दूर हो, लेकिन कांग्रेस और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच हाल की दोस्ती आम चुनावों के लिए मैदान तैयार कर रही है। जिसमें एक संयुक्त विपक्ष ने भाजपा के विजय रथ को रोकने और पीएम नरेंद्र मोदी को टक्कर देने की योजना बनाई है।
ममता बनर्जी दिल्ली के पांच दिवसीय दौरे पर हैं। जिसमें वो कांग्रेस के दिग्गजों कमलनाथ, आनंद शर्मा और अभिषेक मनु सिंघवी से मुलाकात करेंगी। जोकि आने वाले चुनावों की रणनीति के साफ संकेत देता है।
यहां ये भी बता दें कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इन नेताओं के साथ अच्छे ताल्लुकात हैं और ये सभी कांग्रेस के वरिष्ठ चेहरे हैं। मिसाल के तौर पर कमलनाथ जब भी कोलकाता जाते थे तो बनर्जी से हमेशा मिलते थे। दूसरी ओर, सिंघवी का बनर्जी के साथ राज्यसभा का कनेक्शन है और विभिन्न मामलों में टीएमसी के वकील हैं।
वहीं राजनीतिक पंडितों का कहना है कि कई बैठकों के बाद ऐसा देखा जा सकता है कि कांग्रेस भाजपा के खिलाफ अपनी लड़ाई में क्षेत्रीय पार्टियीं को समायोजित करने के लिए एक लचीला रुख अपनाने को तैयार है। इसका सबसे बड़ा कारण पिछले कुछ सालों में पार्टी का पतन हुआ है। सूत्रों का कहना है कि यही वजह है कि गांधी परिवार राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर से मिला था।
कांग्रेस का सीएम ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक के साथ एकजुटता दिखाना भी एक अहम रोल बनकर सामने आया है। जिसमें अभिषेक पर कथित तौर पर पेगासस मामले में जासूसी की गई थी। सबको मालूम है कि सोनिया गांधी और सीएम ममता बनर्जी में पहले से ही अच्छे रिश्ते हैं। इसलिए ममता भी जानती है कि वो उस नए मोर्चे के लिए तैयार हैं जो कांग्रेस के बिना संभव नहीं है।
वहीं बंगाल की बात करें तो कांग्रेस के सामने विपक्ष में ममता बनर्जी ऑयर नरेंद्र मोदी जैसे दमदार धुरंधर थे जिसकी वजह से कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा। चुनावी नतीजों के बाद कांग्रेस नेता अधीर रंजन ने आलाकमान को सलाह दी कि वो भवानीपुर सीट से कांग्रेस उम्मीदवार न उतारें जहां से ममता बनर्जी लड़ रही थी।
कांग्रेस और टीएमसी का एक साथ आना 2024 के चुनावों से पहले विपक्षी एकता के लिए एक बड़ा कदम साबित होगा। लेकिन यह चुनावी सफलता में तब्दील होगा या नहीं इस सवाल का जवाब तो बाद में ही मिलेगा।