राफेल डील पर कांग्रेस का नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला- जब 126 विमानों की जरूरत थी तो सिर्फ 36 क्यों खरीदे

राफेल डील को लेकर बीजेपी और कांग्रेस में आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि अगर 126 लड़ाकू विमानों की जरूरत थी तो नरेंद्र मोदी सरकार ने सिर्फ 36 लड़ाकू विमानों के लिए ही फ्रांस के साथ समझौता क्यों किया.

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राफेल डील पर कांग्रेस का नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला- जब 126 विमानों की जरूरत थी तो सिर्फ 36 क्यों खरीदे

Aanchal Pandey

  • September 2, 2018 5:21 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली. राफेल डील को लेकर कांग्रेस ने एक बार फिर पीएम नरेंद्र मोदी पर हमला बोला है. कांग्रेस ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने दसॉल्ट एविएशन से 36 विमान क्यों खरीदे जबकि 126 लड़ाकू विमानों की जरूरत थी. पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि अगर किसी तरह की जल्दी थी तो सरकार ने फ्रांस से एक ही बार में सारे विमान सप्लाई करने को क्यों नहीं कहा.

शनिवार को प्रियंका ने कहा, ”पहले कुछ विमान 2019 में भारत आएंगे और बाकी 2022 तक भारत आएंगे. अगर कोई जल्दी थी तो सारे विमानों की सप्लाई 2019 में ही करा लेनी चाहिए”. प्रियंका चतुर्वेदी ने पूछा कि राफेल की जांच के लिए सरकार संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के गठन से क्यों घबरा रही है.उन्होंने कहा, करीब 126 विमानों की जरूरत थी, लेकिन एनडीए सरकार ने सिर्फ 36 विमान के लिए समझौता किया. यह अजीब है. उन्होंने कहा कि सरकार ने अरबपति दोस्त के लिए राष्ट्रहित से समझौता किया.

इससे पहले चतुर्वेदी ने पूछा कि ‘यह कैसे हो सकता है कि पर्रिकर के रक्षामंत्री होने के बावजूद उन्हें यह न पता रहा हो कि एक सौदे पर बात हुई है, हस्ताक्षर हुए हैं और इस पर सहमतियां बनीं हैं.’ चतुर्वेदी ने कहा, “एक रक्षामंत्री जो रक्षा पर मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीएस) के नियमों के उल्लंघन, प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण और रक्षा खरीद प्रक्रिया में नियमों के उल्लंघन के बारे में जानता है, लगातार अपनी चुप्पी बनाए हुए है और मामले में कुछ भी नहीं बोलने का रास्ता चुने हुए है.” उन्होंने कहा, “इसलिए उनकी चुप्पी देश को धोखा देने वाले इस समझौते के तहत एक साजिश है.”

उन्होंने कहा, “यहां एक रक्षामंत्री हैं, जिन्होंने समझौते पर हस्ताक्षर होने से कुछ दिन पहले ऑन रिकार्ड कहा था कि समझौते की कुछ शर्तो में बदलाव असंभव है. लेकिन, आपको पता था कि ये वे वही क्लॉज थे, जिन पर फ्रांस में समझौता हुआ.”चतुर्वेदी ने कहा, “और, देश ने देखा कि कैसे पर्रिकर ने जवाब देने के बदले तथ्यों को छुपाया. यह सभी जानते हैं कि वह खुद इसके लिए तैयार नहीं थे.”

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