नई दिल्ली, केंद्र सरकार द्वारा सेना में शॉर्ट टर्म भर्ती योजना की नई स्कीम को लेकर पूरे देश में आक्रोश है. प्रदर्शनकारी देश के अलग-अलग हिस्सों में अपना विरोध जता रहे हैं. जहां एक ओर केंद्र सरकार युवाओं तक अपनी इस योजना को समझाने के लिए प्रयास कर रही है वहीं दूसरी ओर विपक्ष भी […]
नई दिल्ली, केंद्र सरकार द्वारा सेना में शॉर्ट टर्म भर्ती योजना की नई स्कीम को लेकर पूरे देश में आक्रोश है. प्रदर्शनकारी देश के अलग-अलग हिस्सों में अपना विरोध जता रहे हैं. जहां एक ओर केंद्र सरकार युवाओं तक अपनी इस योजना को समझाने के लिए प्रयास कर रही है वहीं दूसरी ओर विपक्ष भी इस योजना का विरोध करने में लगा हुआ है. अब इसी बीच कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का भी बयान सामने आ गया है. जहां उन्होंने केंद्र की इस योजना को निराशाजनक बताया है.
शनिवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का यह बयान सामने आया है. जहां उन्होंने कहा- मुझे दुख है कि सरकार ने आपकी आवाज को नजरअंदाज किया और एक नई योजना की घोषणा भी कर दी जो पूर्ण रूप से दिशाहीन है. वह आगे कहती हैं, मैं आप सभी से शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने की अपील करती हूँ. इस स्थिति में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस आपके साथ है. बता दें, यह बयान लिखित रूप में कांग्रेस ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर ट्वीट किया गया है.
मुझे दुख है कि सरकार ने आपकी आवाज को नजरअंदाज किया और एक नई योजना की घोषणा की जो पूरी तरह से दिशाहीन है… मैं आप सभी से शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने की अपील करती हूं। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस आपके साथ है: अग्नीपथ योजना पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी #AgnipathScheme pic.twitter.com/TbHLIgAPhh
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 18, 2022
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने ट्वीटर हैंडल से लिखा कि पिछले 8 सालों से लगातार भाजपा सरकार ने ‘जय जवान, जय किसान’ के मूल्यों का अपमान किया है। मैंने पहले भी कहा था कि प्रधानमंत्री जी को काले कृषि कानून वापस लेने पड़ेंगे। ठीक उसी तरह उन्हें ‘माफ़ीवीर’ बनकर देश के युवाओं की बात माननी पड़ेगी और ‘अग्निपथ’ को वापस लेना ही पड़ेगा।
इससे पहले राहुल गांधी ने लिखा था कि अग्निपथ को नौजवानों ने नकार दिया है। कृषि कानून को किसानों ने नकार दिया। नोटबंदी को अर्थशास्त्रियों ने नकार दिया। जीएसटी को व्यापारियों ने नकार दिया। कांग्रेस नेता ने आगे लिखा कि देश की जनता क्या चाहती है, ये बात प्रधानमंत्री नहीं समझते, क्यूंकि उन्हें अपने ‘मित्रों’ की आवाज़ के अलावा कुछ सुनाई नहीं देता है।
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