Congress President Rahul Gandhi: कांग्रेस अध्यक्ष पद जल्द ही दोबारा होगी राहुल गांधी की ताजपोशी, इस बार अग्रेसिव और फुल फॉर्म पर होगी वापसी

Congress President Rahul Gandhi: राहुल को मनाने की कोशिशे सोनिया और प्रियंका गांधी सहीत उनके करीबी लगातार कर रहे थे....नहीं मानने तक इस्तीफा देते ही सोनिया गांधी को अध्यक्ष बनाया गया. सोनिया गांधी राहुल के व्यवहार से अच्छी तरह परिचित है लिहाजा उन्होंने इंतजार करने का तरीका अपनाया.

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Congress President Rahul Gandhi: कांग्रेस अध्यक्ष पद जल्द ही दोबारा होगी राहुल गांधी की ताजपोशी, इस बार अग्रेसिव और फुल फॉर्म पर होगी वापसी

Aanchal Pandey

  • July 9, 2020 10:21 pm Asia/KolkataIST, Updated 4 years ago

नई दिल्ली: कोरोना काल में आप सबने राहुल गांधी को नई हेयर स्टाइल-नए तेवरों के साथ सोशल मीडिया और न्यूज चैनल पर देखा होगा. राहुल के इस नए लुक को लेकर आमजन व सियासी गलियारों में खूब चर्चा हुई. वहीं गांधी के कोरोना,पेट्रोल-डीजल की कीमतों औऱ चायना मसले पर केन्द्र पर किए गए हमलों ने भी लोगों ने आकर्षित किया. क्योंकि इस बार राहुल ने सीधा पीएम नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधने सहित अपने बयानों के जरिए भी कोई गलती नहीं की. खास बात रही कि राहुल ने महामारी में सियासत करने के बजाय एक्सपर्ट से बातचीत करते हुए समाधान खोजने का मास्टरस्ट्रोक चलाया.

इन सब घटनाक्रम पर टीम आरजी यानि राहुल गांधी के करीबी नजरें बनाए हुए थे. क्योंकि राहुल गांधी दोबारा औऱ जल्द अध्यक्ष बनने को तैयार नहीं थे. राहुल गांधी ने आपको याद होगा कि इस्तीफे के वक्त साफ कहा था कि राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी गांधी परिवार से बाहर किसी को मिलनी चाहिए. लेकिन अब बताया जा रहा है कि जनमानस की भावनाओं के तहत मिले फीडबैक के आधार पर राहुल गांधी दोबारा अध्यक्ष बनने को मन बना चुके है. इससे पहले वह अध्यक्ष नहीं बनने की जिद्द पर ही कायम थे.

ऐेसे में राहुल को मनाने की कोशिशे साोनिया औऱ प्रियंका गांधी सहीत उनके करीबी लगातार कर रहे थे….नहीं मानने तक इस्तीफा देते ही सोनिया गांधी को अध्यक्ष बनाया गया. सोनिया गांधी राहुल के व्यवहार से अच्छी तरह परिचित है लिहाजा उन्होंने इंतजार करने का तरीका अपनाया…लेकिन राहुल गांधी इस बार छुट्टी पर नहीं गए बल्कि संगठन का काम पर्दे के पीछे से निभाते रहे. लेकिन खैर अब इंतजार की घड़ियां समाप्त होने वाली है और राहुल गांधी फिर से अध्यक्ष बनने की राह पर है.

राहुल इस बार अग्रेसिव और फ्री हैंड के साथ करेंगे वापसी

बताया जा रहा है कि फिलहाल राहुल गांधी का पूरा ध्यान बिहार विधानसभा चुनाव पर है. राहुल गांधी अग्रेसिव और समय से पहले तैयारी की रणनीति के चलते बिहार में कांग्रेस के लिए बहार लाने में जुटे हुए हैं. राहुल गांधी अब लोकसभा चुनाव की करारी हार से भी उभर चुके हैं. उनके करीबियों की माने तो राहुल गांधी ने अब समझ लिया है कि सियासत और चुनाव में हार-जीत चलता रहता है. लिहाजा बिहार चुनाव परिणाम शायद उन्हें पहले से पता होंगे कि क्या रहने वाले है.लेकिन उन्होंने लड़ाई में अपनी तरफ से बेस्ट देने का तय कर लिया है.ऐसे में जानकारों का कहना है कि राहुल की वापसी में बिहार चुनाव
परिणाम कैसे भी रहे यह फैक्टर अब कोई मायने नहीं रखेगा.

ऐसे में संभावना है कि अक्टूबर 2020 से लेकर जनवरी 2021 के बीच में राहुल गांधी कभी भी फिर अध्यक्ष बन सकते हैं….लेकिन इस बार राहुल गांधी फुल फॉर्म में काम करेंगे. यानि वो खुद फैसला लेंगे औऱ उसमें किसी भी वरिष्ठ नेता ने गलत या सिफारिश सिस्टम को थोपने की कोशिशे की तो उसका हिसाब करने में जरा भी नहीं चूकेंगे. क्योंकि इससे पहले जब राहुल अध्यक्ष थे तब बाते तो बहुत बड़ी बड़ी की थी उन्होंने सुधार की लेकिन अंत में सीनियर और राज्यों के क्षत्रपों के आगे झुक जाते थे. ऐसे में समझौतावादी छवि राहुल की बन गई और धीरे धीरे उनके गुट के ही नेता उनसे किनारा करने लगे. जिसका नतीजा यह हुआ कि राहुल गांधी पार्टी में अकेले पड़ने लग गए थे. लेकिन इस बार सिंघम स्टाइल में उनकी धमाकेदार एंट्री का दावा उनके ही करीबी अभी से और दावों के साथ कर रहे हैं.

राहुल ताजपोशी के बाद ही होंगे संगठन में बदलाव

राहुल गांधी अध्यक्ष बनने के बाद ही अब कांग्रेस संगठन औऱ राज्यों में बदलाव देखने को मिलेंगे. पहले कुछ राज्यों में जुलाई से अक्टूबर तक प्रदेश अध्यक्ष बदलने,प्रभारी चेंज करने, CWC और एआईसीसी के पुनर्गठन की चर्चाएं जोरों पर थी लेकिन अब राहुल गांधी की वापसी की आहट के साथ ही इन बदलावों पर ब्रेक लगने की खबर है. इससे पहले हालांकि चुनाव के चलते बिहार में जरुर कुछ संगठन में बदलाव किए जा सकते हैं. लेकिन बाकी राज्यों में अभी एज इट चलता रहेगा. ऐसे में कह सकते है कि पार्टी में अब किसी तरह के बदलावों पर ब्रेक लग गए हैं.

राज्यों में जनाधार वाले नेताओं को मिलेगा फ्री हैंड

राहुल गांधी अब समझदारी के साथ सियासत करेंगे यानि पहले की तरह उत्तेजना में आकर कोई फैसले अब शायद नहीं लेंगे जैसे हरियाणा में राहुल गांधी ने चुनाव से पहले भूपेन्द्र हुड्डा को पूरी तरह से कमान नहीं दी थी जिसके चलते कांग्रेस वहां थोड़े से अंतर से सत्ता में आने से चूक गई. खुद राहुल गांधी ने इस कमी को अपनो के बीच खुलकर स्वीकार किया था बाद में अब बताया जा रहा है कि हरियाणा में हुड्डा को फ्री हैंड दिया जाएगा. सूत्रो के मुताबिक हुड्डा की पंसद गीता भुक्कल को वहां का पीसीसी चीफ बनाया जा सकता है. ऐसे ही अन्य राज्यों में जनाधार वाले नेताओं को फैसले लेने औऱ रणनीति बनाने में फ्री हैंड राहुल गांधी देंगे.

राहुल गांधी के जारी रहेंगे नवाचार औऱ प्रयोग

राहुल गांधी ने अध्यक्ष रहते हुए हर राज्यों में सचिव प्रभारी औऱ कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष बनाने का प्रयोग किया था. इसके अलावा डेटा एनालिसिस,इंटेलेक्चुअल लोगों का संगठन औऱ शक्ति प्रोजेक्ट लॉन्च करने जैसे नवाचार किए थे. राहुल की वापसी के साथ ही पहले की तरह ऐसे नवाचार प्रयोग जारी रहेंगे इनके तहत राहुल हर वर्ग खासतौर से यूथ और दलित तबके के नेताओं को मौका देना जारी रखेंगे. ऐसे में तय है कि राहुल वापसी के साथ राष्ट्रीय सचिव महासचिव प्रभारियों के साथ मुख्य भूमिका में होंगे औऱ दो से चार कार्यकारी पीसीसी चीफ हर राज्य में बनाए जाएंगे. हालांकि राहुल गांधी की पहले मंशा दोबारा अध्यक्ष बनने से पहले पूरे भारत के दौरे करने की थी. इसके तहत गुजरात से गांधी धाम से पदयात्रा शुरु करने का प्रोग्राम था. लेकिन कोरोना के चलते इस योजना पर ब्रेक लग गए. उसके बाद उन्होंने कोरोना संकट में नए कलेवर में विपक्ष के नेता पर पर्दापण किया. अब सबको राहुल की वापसी कब और किन तेवरों के साथ होगी इसका बेसब्री से इंतजार है.

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