नई दिल्ली. कांग्रेस को आज 24 सालों बाद गैर गांधी अध्यक्ष मिलने वाला है. 17 अक्टूबर को अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुए थे, जिसमें सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी समेत तमाम कांग्रेस नेताओं ने वोटिंग की थी. आज 10 बजे से मतगणना की जाएगी, शाम 3 से 4 बजे के बीच नतीजे आने की संभावना जताई जा रही है. फ़िलहाल, देश भर के राज्य मुख्यालयों से मतपेटियां मतगणना स्थल यानी कांग्रेस दफ्तर पहुंच चुकी है और सुबह 10 बजे से मतगणना की प्रक्रिया शुरू हो जाएगा. इस बार मुकाबला मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर के बीच है, वैसे तो खड़गे की जीत तय मानी जा रही है लेकिन गिनती में थरूर खड़गे को गच्चा दे सकते हैं.
दोनों की तरफ से 5-5 एजेंट मतगणना की निगरानी रखेंगे जबकि दोनों पक्षों से 2 एजेंट रिजर्व में रखे जाएंगे, गिनती के बाद केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण नतीजों की घोषणा करेगा. प्राधिकरण के मुताबिक कुल 9915 वोटरों में से 9500 से ज्यादा ने वोट डाले थे, और इन्हीं वोटों के आधार पर आज कांग्रेस को अपना अगला अध्यक्ष मिल जाएगा.
देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस को आज अपना अगला अध्यक्ष मिल जाएगा, तकरीबन 22 साल पहले सोनिया गांधी और जितेंद्र प्रसाद के बीच मुकाबला हुआ था, जिसमें सोनिया गाँधी को एकतरफा जीता मिली थी, तब से ये पद गांधी परिवार के पास ही है. अबकी बार गांधी परिवार सक्रिय राजनीति में रहते हुए अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ रहा, ऐसे में इस बार अध्यक्ष पद के लिए वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खरगे और शशि थरूर के बीच मुकाबला है.
कांग्रेस के इतिहास में इससे पहले सिर्फ दो बार ही अध्यक्ष पद के लिए चुनाव करवाए गए हैं. अधिकतर ये पद गाँधी परिवार के पास ही रहा है. आइए आज हम आपको अध्यक्ष के चुनाव के प्रक्रिया के बारे में बताते हैं-
चुनाव करवाने के लिए सबसे पहले CEA यानि सेंट्रल इलेक्शन अथॉरिटी का गठन किया जाता है, अगर हम इसे आसान भाषा में समझें तो इसे हम कांग्रेस का चुनाव आयोग कह सकते हैं. यही अथॉरिटी चुनाव की पूरी प्रक्रिया क सुनियोजित करती है. चीफ इलेक्शन अथॉरिटी को चुनाव की पूरी ज़िम्मेदारी सौंप दी जाती है.
अब सवाल ये उठता है कि CEAका गठन करता कौन है? तो बता दें इस अथॉरिटी का गठन CWC के मदद से कांग्रेस अध्यक्ष करता है. ऐसे देखें तो ज्यादातर अध्यक्ष पद गाँधी परिवार के पास ही रहा है. सिर्फ दो ही बार चुनाव हुए हैं, साल 2017 में भी अध्यक्ष पद के लिए चुनाव होने वाले थे लेकिन उस समय सबने सर्व सम्मति से राहुल गाँधी को चुन लिया था इसलिए चुनाव नहीं हुआ था.
अब चीफ इलेक्शन अथॉरिटी के गठन के बाद बूथ कमेटी, ब्लॉक कमेटी और फिर जिला संगठन को बनाया जाता है. इन कमेटियों का काम प्रदेश कांग्रेस कमिटी का प्रतिनिधि चुनने का होता है और इन्हीं कमिटियों के प्रभारी को पीसीसी भी कहते हैं. हर ब्लॉक से एक प्रतिनिधि का चुनाव किया जाता है. इसके बाद हर 8 पीसीसी पर एक केंद्रीय कांग्रेस कमिटी के प्रतिनिधि या एआईसीसी (ऑल इंडिया कांग्रेस कमिटी) डेलिगेट चुना जाता है. एआईसीसी और पीसीसी का अनुपात एक और आठ का होता है. पीसीसी डेलिगेट्स के वोटों से ही प्रदेश कांग्रेस कमिटी का अध्यक्ष और पार्टी अध्यक्ष का चुनाव किया जाता है.
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